AMU News: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, इस सवाल के जवाब आज सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने दे दिया. 4-3 से सुप्रीम कोर्ट के जजों ने AMU के अल्पसंख्यक के दर्जे को बरकरार रखा है. यह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का आखिरी फैसला भी है. आज वो पद से रिटायर हो रहे हैं. खासबात यह है कि चंद्रचूड़ और नए सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना का मत एएमयू को लेकर एक ही रहा. चंद्रचूड़ ने कहा कि सवाल था किसी शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान मानने के क्या संकेत हैं? क्या किसी संस्थान को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान इसलिए माना जाएगा क्योंकि इसकी स्थापना किसी धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति द्वारा की गई है. या इसका प्रशासन किसी धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है?
Supreme Court Live Updates On Aligarh Muslim University
– बेंच में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा का फैसला AMU को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के पक्ष में रहा. उधर, जस्टिस सूर्यकांत. जस्टिसम दीपाकंर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा इससे असहमति नजर आए.
-CJI बोले कि इस बात पर विवाद नहीं किया जा सकता कि अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव न किए जाने की गारंटी देता है. सवाल यह है कि क्या इसमें गैर-भेदभाव के अधिकार के साथ-साथ कोई विशेष अधिकार भी है.
-CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 30ए के तहत किसी संस्था को अल्पसंख्यक माने जाने के मानदंड क्या हैं? धार्मिक समुदाय कोई संस्था स्थापित कर सकता है, लेकिन उसका प्रशासन नहीं कर सकता. अनुच्छेद 30 कमजोर हो जाएगा यदि यह केवल उन संस्थानों पर लागू होता है जो संविधान लागू होने के बाद स्थापित किए गए हैं.
-इस प्रकार अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान जो संविधान लागू होने से पहले स्थापित किए गए थे. वे भी अनुच्छेद 30 द्वारा शासित होंगे. अनुच्छेद 30(1) ऐसी स्थिति में लागू नहीं हो सकता, जहां अल्पसंख्यक समुदाय कोई संस्था स्थापित करता है लेकिन उसका प्रशासन करने का कोई इरादा नहीं है.
जो लोग अधिक राज्य नियंत्रण चाहते हैं, उन्हें केवल संस्था की स्थापना के कारण अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं मिल सकता है. और यह छूट के माध्यम से किया जा सकता है
साल 1981 में एएमयू संस्थान अल्पसंख्यक स्वरूप की बहाली के बाद वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक पत्र में कहा गया कि यह अल्पसंख्यक संस्थान है इसलिए वह अपनी दाखिला नीति में परिवर्तन कर सकता है, तत्कालीन केंद्र सरकार की अनुमति के बाद विश्वविद्यालय ने वर्ष 2004 में एमडी–एमएस के विद्यार्थियों के लिए प्रवेश नीति बदलकर आरक्षण प्रदान किया,
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FIRST PUBLISHED : November 8, 2024, 11:04 IST