प्रयागराज: महाकुंभ 2025 को लेकर गंगा जमुना के पवित्र संगम पर दुनिया का सबसे बड़ा अस्थाई नगर बसाए जाने को लेकर तैयारी चल रही है. प्रमुख स्नान के दिन भारत के प्रमुख 13 अखाड़ा की ओर से सबसे पहले स्नान किया जाता है. इसमें सभी अखाड़े शामिल होकर महाकुंभ की आध्यात्मिकता को दिखाते हैं. इस दौरान संगम पर प्रवेश करने को लेकर अखाड़े की ओर से शाही स्नान किया जाता है तो वहीं प्रवेश को पेशवाई कहा जाता था. इस महाकुंभ पूरी तरह से हिंदी शब्दों का प्रयोग और भारतीय संस्कृति की असली छाप देखने को मिलेगी. इसी के चलते शाही स्नान और पेशवाई जैसे शब्दों में अखाड़ा परिषद की ओर से सहमति से बदलाव किया जा रहा है. जिसका नाम कुछ इस तरह होगा.
बदल जाएगा नाम
महाकुंभ 2025 में कुछ स्नान को लेकर बदलाव देखने को मिलने वाला है. खासकर शाही स्नान को लेकर. लोकल 18 से बात करते हुए निरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष जमुना पुरी जी महाराज ने बताया कि इस बार शाही स्नान की जगह पर सभी साधु संत राजसी स्नान करेंगे. इसको लेकर अखाड़ा परिषद के 9 अखाड़ों के द्वारा प्रस्ताव पास भी किया जा चुका है. बात की जाए इस शब्द की तो इसमें शाही शब्द को हटाकर राजसी शब्द जोड़ दिया जा रहा है क्योंकि इस शब्द में कहीं ना कहीं मुगलों की छाप नजर आती है. इसके पहले मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री मोहन यादव के द्वारा इस नाम को लेकर चर्चा हुई थी. उन्होंने शाही स्नान शब्द बदलने का समर्थन किया था तभी से प्रयागराज में भी शाही शब्द की जगह पर राजसी स्नान किया जा रहा है.
यमुना पुरी जी महाराज ने आगे बताया कि अखाड़ा परिषद की ओर से पास किए गए प्रस्ताव में शाही स्नान की जगह राजसी शब्द और पेशवाई की जगह पर छावनी प्रवेश शब्द जोड़ा गया. इसको लेकर सभी महामंडलेश्वर ने भी सहमति जताई है. महाकुंभ और माघ मेले के दौरान प्रयागराज संगम पर अखाड़ों की ओर से होने वाली पेशवाई को अब छावनी प्रवेश नाम दिया गया. अखाड़े की ओर से जारी अपने निमंत्रण में भी अब शाही स्नान और पेशवाई के स्थान पर राजसी स्नान और छावनी प्रवेश शब्द लिखा गया है.
FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 22:02 IST