गाजीपुर: भारत में मशरूम की खेती ने एक नया मोड़ लिया है. अब केवल पारंपरिक बटन मशरूम ही नहीं, बल्कि औषधीय मशरूम जैसे शिताके और गैनोडर्मा भी किसानों के लिए आय का प्रमुख स्रोत बन रहे हैं. उत्तर प्रदेश के युवा वैज्ञानिक ओंमकार सिंह के अनुसार, इन विशेष किस्मों का उत्पादन किसानों की आय में भारी वृद्धि कर सकता है.
गाजीपुर के गाँवों में अधिकतर किसान बटन मशरूम से परिचित हैं, लेकिन ओंमकार सिंह का कहना है कि शिताके और गैनोडर्मा जैसी औषधीय मशरूम किस्में असाधारण गुणों से भरी हुई हैं. गैनोडर्मा मशरूम का बाजार मूल्य लाखों रुपए प्रति किलो तक हो सकता है. इसके औषधीय तत्वों का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है, जो इसे अत्यधिक मूल्यवान बनाता है. स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ, यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उच्च मांग में है.
शिताके मशरूम की खेती
शिताके मशरूम का स्वाद और औषधीय गुण इसे किसानों के लिए कमाई का एक प्रमुख स्रोत बनाता है. ओंमकार सिंह ने बताया कि अगर किसान उचित तकनीक का इस्तेमाल करें, तो वे सालभर इन मशरूमों की खेती कर सकते हैं. ठंडे महीनों में बटन मशरूम और गर्म महीनों में शिताके और गैनोडर्मा मशरूम का संयोजन करके किसान निरंतर उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें अपने उत्पादन के तापमान को 15-20 डिग्री सेल्सियस पर बनाए रखने की आवश्यकता है, जो एक मानक तापमान है.
औषधीय मशरूम से बढ़ेगी आमदनी
किसान इन औषधीय मशरूमों की खेती करके अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं और गाजीपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न कर सकते हैं. ओंमकार सिंह का मानना है कि इस तकनीकी जानकारी को अपनाने से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और उन्हें मशरूम की विविध किस्मों के बारे में जागरूकता भी मिलेगी.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 10:53 IST