गाजीपुर: यूपी में गाजीपुर की दिवाली इस बार विशेष बन गई है, और इसका श्रेय ‘समर्पण संस्था’ को जाता है. जहां दिव्यांग बच्चों द्वारा रंग-बिरंगे और डिजाइनर बनाए गए दीये बेचे जा रहे हैं. इस काम के पीछे संस्था की कर्ताधर्ता सविता सिंह हैं. जिन्होंने अपने 18 सालों से चल रहे इस प्रयास को न सिर्फ आगे बढ़ाया है. बल्कि दिव्यांगजनों के लिए आत्मनिर्भरता की नई राह भी खोली है.
मूक-बधिर बच्चों की प्रतिभा का प्रदर्शन
‘समर्पण संस्था’ के माध्यम से गाजीपुर के दिव्यांग बच्चों ने इस बार दिवाली के लिए विशेष दिये बनाए हैं. ये दीये न केवल आकर्षक रंगों और डिजाइन वाले हैं, बल्कि इन्हें बनाने में मूक-बधिर बच्चों ने अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया है. सविता सिंह के अनुसार बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए स्पेशलिस्ट को रखा गया है, जो इन बच्चों को इशारों में समझाते हैं. जहां बिना शब्दों का उपयोग किए बच्चे अपनी कड़ी मेहनत और सृजनशीलता के जरिए दीयों को आकार देते हैं.
दिव्यांगों के उज्जवल भविष्य की चाह
सविता सिंह ने ‘लोकल 18’ की टीम से बताया कि इन दीयों को बनाने में बच्चों को ढाई महीने का समय लगा. वह चाहती हैं कि ये बच्चे सिर्फ दीये बनाने तक ही सीमित न रहें, बल्कि पढ़-लिखकर अपना भविष्य संवारें और नौकरी करके आत्मनिर्भर बनें. इस पहल का उद्देश्य न केवल दीयों की रौशनी से घरों को जगमगाना है, बल्कि बच्चों के भविष्य को उज्जवल करना भी है.
समाज और स्थानीय प्रशासन का सराहनीय सहयोग
इन दिव्यांगजनों द्वारा बनाए गए दीयों की खरीददारी न केवल आम जनता कर रही है, बल्कि स्थानीय अधिकारी भी आगे बढ़कर इस प्रयास का समर्थन कर रहे हैं. महज 5 रुपए में उपलब्ध इन दीयों ने बाजार में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. इस पहल के जरिए समाज में दिव्यांगजनों को लेकर एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो रहा है और उनके लिए एक नए तरह का आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता का वातावरण तैयार हो रहा है.
भविष्य के लिए बड़ी योजनाएं
सविता सिंह की योजना है कि भविष्य में इस पहल को और व्यापक रूप से बढ़ाया जाए, जिससे अधिक से अधिक दिव्यांग जन इस कार्य में जुड़ सकें. उनका मानना है कि दिव्यांगजनों के लिए आत्मनिर्भरता और समाज में सम्मानपूर्वक स्थान पाना आवश्यक है. इस प्रयास ने न केवल दिव्यांगजनों के जीवन में एक नई उम्मीद जगाई है, बल्कि उनके परिवारों को भी सशक्त बनाया है.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 12:25 IST