बहराइच : बहराइच जिले के रहने वाले किसान पिछले कई सालों से सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन खास बात यह है कि ये किसान सब्जियों की खेती मचान विधि से करते हैं. इस विधि से इनको अच्छा मुनाफा होता है. जिसमें यह करेला, लौकी, सेम आदि सब्जियों की खेती करते हैं. मचान विधि के तहत खेत में बांस, सीमेंट या लोहे के खंभे से 5 से 7 फीट ऊंची मचान बनाई जाती है. जैसे ही सब्जी की बेल बढ़ने लगती है, वैसे ही इसे मचान पर चढ़ा दिया जाता है. इसमें मेड़ों की दूरी डेढ़ से दो मीटर रखी जाती है. इस पर कम वजन वाली सब्जियों जैसे नेनुआ, करेला, लौकी, तोरई, सेम आदि को चढ़ा कर उगाया जाता है.
बुवाई का तरीका
मचान विधि से खेती के लिए कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई मेड़ या थालों में करनी चाहिए. एक जगह पर तीन से चार सेंटीमीटर गहराई में दो से तीन बीज डालकर बोना चाहिए. बारिश के समय ध्यान रखें कि मेड़ ऊंची हो.
मचान विधि के फायदे
बेलदार सब्जियों को मचान पर चढ़ाने से नीचे काफी जगह खाली बचती है. ऐसे में इसके साथ आंशिक छाया वाली फसलें धनिया, पालक, हल्दी, मूली की भी खेती कर ज्यादा फायदा लिया जा सकता है. मचान विधि में सब्जियों की तुड़ाई करना बहुत आसान हो जाता है और मचान विधि में सब्जियों की वृद्धि भी तेज होती है. साथ ही गाय, भैंस, बकरियां, आदि जानवरों से भी बचत रहती है.
यह भी जानें
देश के अलग-अलग भागों में करीब 70 से ज्यादा प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है. इनमें 20 से ज्यादा कद्दूवर्गीय सब्जियां भी शामिल हैं. कद्दूवर्गीय सब्जियां किसानों के आर्थिक लिहाज से काफी फायदेमंद होती हैं. ऐसे में इनकी अच्छी पैदावार के लिए सही देखभाल बहुत जरूरी है. अक्सर किसान कद्दूवर्गीय बेलदार सब्जियों की बुवाई कर जमीन पर ही बेलों को बिछने देते हैं, लेकिन इससे फसल में कीटों और रोगों का प्रकोप दिखने लगता है. इस वजह से उपज पर भी बुरा असर पड़ता है.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 09:21 IST