आपने आजतक कई तरह के बैंकों के बारे में सुना होगा. कुछ प्राइवेट बैंक होते हैं तो कुछ सरकारी. इन बैंकों में लोग अपनी मेहनत की कमाई जमा करते हैं. जब लोगों को जरुरत होती है तो बैंक कुछ एसेट को गिरवी रखकर लोगों को लोन भी देता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे ना सरकार चलाती है ना कोई प्राइवेट फर्म.
हम बात कर रहे हैं वाराणसी के एक ऐसे बैंक की जिसे प्रभु श्रीराम चलाते हैं. जी हां, यहां मौजूद है रामजी का बैंक. इस बैंक में लेन-देन तो होता है लेकिन पैसों का नहीं. इसके बाद भी लाखों लोग यहां लोन लेने आते हैं. आखिर कैसा है ये अनोखा बैंक और किस तरह से काम करता है यहां का सिस्टम, आइये आपको देते हैं पूरी जानकारी.
हर दिन खुलते हैं कई खाते
राम रमापति बैंक की स्थापना 1926 में स्वर्गीय दास चन्नूलाल ने की थी. अब इसके मैनेजर दास वासुदेव है जो अपने पोते के साथ इस बैंक का काम देखते हैं. इस बैंक में किसी तरह के पैसों का ट्रांजेक्शन नहीं होता है. यहां आने वाले लोग अपना खाता खुलवाते हैं और फिर बैंक से कागज लेकर और कलम-स्याही लेकर घर चले जाते हैं. ढाई सौ दिन उन्हें कागज पर राम नाम लिखना होता है और फिर उसे आकर बैंक में जमा करना होता है. अभी तक इस बैंक में अरबों नाम नाम जमा किए जा चुके हैं.
मिलता है लोन
इस बैंक में तीन तरह के लोन मिलते हैं. जाप ऋण, मंत्र ऋण और राम नाम ऋण में तीसरा सबसे पॉपुलर है. इसमें उधार लेने वाले को राम नाम को 1 लाख 25 हजार बार लिखकर बैंक में जमा करना होता है. कहते हैं कि इससे लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है. बैंक दोपहर बारह से शाम के चार बजे तक खुला रहता है. मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी आत्मकथा में बताया था कि उनका भी खाता इस बैंक में खुला हुआ है. वहीं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मां ने भी यहां से लोन लिया था.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 11:59 IST