मदरसा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। एक ओर जहां शीर्ष न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ ने मदरसा कानून को पूरी तरह खत्म किए जाने के खिलाफ आपत्ति जताई। यूपी सरकार का कहना है कि उन प्रावधानों को खत्म किया जाना चाहिए, जो उल्लंघनकारी हैं।
दरअसल, उच्च न्यायालय ने मदरसा कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन बताया था। साथ ही आदेश जारी किए थे कि 13 हजार 364 मदरसों में पढ़ाई कर रहे 12 लाख से ज्यादा छात्रों को राज्य शिक्षा बोर्ड की तरफ से मान्यता प्राप्त नियमित स्कूलों में भर्ती कराया जाए।
क्या बोली यूपी सरकार
मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराजन ने कहा कि राज्य सरकार यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को पूरी तरह से खत्म करने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने पीठ से कहा कि राज्य सरकार का मानना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय को पूरे मदरसा अधिनियम को असंवैधानिक घोषित नहीं करना चाहिए था।
नटराजन ने पीठ से कहा कि राज्य सरकार मदरसा अधिनियम के उन प्रावधानों को खत्म करने के पक्षधर जो उल्लंघनकारी है। यूपी सरकार की की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर से सवाल के जवाब में कहा कि मैं मदरसा अधिनियम की वैधता का समर्थन करता हूं। चूंकि, (कानून की) संवैधानिकता को रद्द कर दिया गया है, इसलिए हम कुछ कहना चाहते हैं। हम कानून का बचाव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अधिनियम के पक्ष में उच्च न्यायालय में अपना जवाब दाखिल किया था और वह अपने रुख पर अभी भी कायम है।
क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
इसपर बेंच ने कहा, ‘मदरसों को मुख्यधारा में लाने में राज्य सरकार की रुचि है। नहीं तो अगर ऐसी संस्थाओं का परिचय गणित, विज्ञान और मुख्यधारा के अन्य विषयों से नहीं कराया जाएगा, तो ये कैसे योग्य नागरिक तैयार करेंगे। हम कानून की व्याख्या उसी तरह से करेंगे, लेकिन कानून को पूरी तरह से खत्म कर देताना बच्चे को नहाने के पानी में फेंक देने के बराबर है।’