बहराइच में हिंसा बेकाबू होने का एक और कारण मंगलवार को वीडियो के रूप में सामने आया है। इस वीडियो में दिख रहा है कि आगजनी और पथराव कर रही भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस को मिला टियर गैस गन चल ही नहीं पाया।
बहराइच में हिंसा बेकाबू होने का एक और कारण मंगलवार को वीडियो के रूप में सामने आया है। इस वीडियो में दिख रहा है कि आगजनी और पथराव कर रही भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस को मिला टियर गैस गन चल ही नहीं पाया। मौके पर पहुंचे सीओ ने इस गन को खुद चलाने की कोशिश की लेकिन चला नहीं पाए। इस पर सिपाहियों को डांटते भी नजर आ रहे हैं। गन नहीं चलने पर भीड़ पथराव करते हुए सीओ और अन्य पुलिस वालों की तरफ बढ़ जाती है। इस पर सीओ को घर में छिपकर भीड़ से अपनी जान बचानी पड़ी।
बहराइच के महराजगंज कस्बे में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान रामगोपाल मिश्रा की गोली मार दी गई थी। इसके बाद भीड़ उग्र हो गई थी। भीड़ ने पथराव और आगजनी शुरू कर दी थी। भीड़ को काबू करने के लिए पहुंचे तत्कालीन सीओ रूपेंद्र गौड़ ने पुलिस जवान के हाथ से टियर गैस गन खुद लेकर चलाने की कोशिश की ताकि भीड़ को तितर बितर किया जा सके।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि सीओ टियर गैस गन चलाने की कोशिश करते हैं लेकिन चल नहीं पाती है। इस पर वो सामने खड़े सिपाही से कड़े शब्दों में यह कहते हुए सुनाई पड़ते हैं कि ये चल क्यों नहीं रही।
टियर गैस गन नहीं चलने से पथराव कर रही भीड़ से डंडे के बल पर मुकाबला मुश्किल था। ऐसे में सीओ और अन्य पुलिस वाले पथराव नहीं करने की अपील करते रहे। जब अपील ने काम नहीं किया तो घर में छिपकर अपनी जान बचाई। भीड़ पर काबू नहीं कर पाने और हिंसा भड़कने के लिए भले ही सीओ को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन यह वीडियो दंगा निरोधक उपकरणों की गुणवत्ताा और प्रशिक्षण पर प्रश्न चिन्ह भी लगा गया है।
एलआईयू की विफलता से लिखी गई उपद्रव की इबारत
बहराइच के महराजगंज उपद्रव मामले में लोकल इंटलीजेंस यूनिट की बड़ी चूक सामने आई है। एलआईयू पूरी तरह से मामले की खुफिया जानकारी जुटाने में असफल रही, तो महसी तहसील चौकी प्रभारी भी कानून व्यवस्था संभालने में अक्षम रहे, जिसकी वजह से महराजगंज कस्बे में उपद्रव की इबारत लिखने में बवाली सफल हुए। यह खुलासा जांच में सामने आया है, तो महसी विधायक ने भी एलआईयू पर आरोप लगाए हैं।
हरदी थाने के महरागंज कस्बे में 13 अक्तूबर को रामगोपाल की हत्या के बाद भड़की हिंसा में दूसरे दिन 14 अक्तूबर को आगजनी व तोड़फोड़ की घटना हुई थी। किस स्तर पर हुई चूक से जिले की कानून व्यवस्था बिगड़ी। इसकी हर स्तर पर जांच हो रही है। जांच जैसे-जैसे आग बढ़ रही है। पुलिस तंत्र की विफलता भी सामने आ रही है।
जिले स्तर पर खुफिया जानकारी एकत्र कर उपद्रव, आगजनी व अन्य वारदातों की समय रहते इनपुट पुलिस विभाग को उपलब्ध कराने का जिम्मा संभालने वाली एलआईयू पूरी तरह से नाकाम हुई है। जिसके चलते ऐसी घटना को अंजाम दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि एलआईयू की नाकामी की रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई है। खुद महसी विधायक सुरेश्वर सिंह ने भी एलआईयू पर सवाल उठाया है। कहा कि एलआईयू के पास कोई इस तरह का इनपुट ही नहीं रहा है। ऊपर से महसी तहसील पुलिस चौकी प्रभारी भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। समय रहते पुलिस व एलआईयू के बीच समन्वय होता तो महराजगंज उपद्रव रोका जा सकता था।
संदीप आचार्य के गाने पर पहले भी हुई थी आपत्ति
जिस गाने से महराजगंज में बवाल व उपद्रव की इबारत लिखी गई, उस पर गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान भी दूसरे समुदाय ने आपत्ति जताई थी। महसी विधायक ने बताया कि यह मामला शांति समिति की बैठक में हरदी थाने में भी उठाया गया था, लेकिन इस मामले को तत्कालीन एसएचओ व तहसील चौकी प्रभारी ने उच्चाधिकारियों से छिपाया था। मूर्ति विसर्जन के दौरान इसी गाने को लेकर दूसरे समुदाय के लोग पहुंच गए थे, जिसके बजाने को लेकर कहासुनी से हिंसा जैसी वारदात हो गई।
बंदूक की नली साफ कर रहे थे, धूप में बिछाए थे कारतूस
विधायक ने यह भी बताया कि रामगोपाल की हत्या को अंजाम देने वाले सरफराज व मोहम्मद तालिब 13 अक्तूबर को सुबह ही बंदूक बाहर निकाले थे। दोनों भाई उसकी नली को साफ कर रहे थे। कारतूस को धूप में बिछा दिया था। यह खुलासा उनके यहां काम करने वाले 13 वर्षीय गोलू ने पुलिस को बताई है। गोलू ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के दिन दोनों भाई सुबह से ही सुनियोजित तरीके से असलहे को ही परखने में लगे हुए थे। इससे पहले कभी भी ऐसा करते हुए उनको नहीं देखा।