लोकसभा चुनाव में खाली हुईं यूपी की 10 विधानसभा सीटों में से नौ सीटों को लेकर हलचल तेज हो गई है। चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद सभी पार्टियां तैयारियों में भी जुट गई हैं। सपा ने तो सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। जबकि दो सीटें गाजियाबाद और खैर कांग्रेस को दी हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर राजी नहीं है। वह एक और सीट की मांग कर रही है। हिन्दुस्तान टाइम्स रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस फूलपुर या मझवां में से एक और सीट के लिए दबाव बना रही है। उपचुनाव में कांग्रेस को सपा ने भले ही दो सीटें ही दी हों लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस अपने बेहतर प्रदर्शन के आधार पर अपना दावा कर रही है, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश में छह सीटें जीती थीं, जबकि सपा ने 37 सीटें जीती थीं।
कांग्रेस को उम्मीद है कि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच जल्द ही तीसरी सीट बंटवारे पर अंतिम दौर की चर्चा होने पर स्थिति बदल सकती है। किसी अन्य सीट पर सीट समायोजन का कोई तर्क नहीं है। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, हमारा हर जगह मजबूत आधार है और उम्मीद है कि कांग्रेस और सपा जल्द ही इस संबंध में घोषणा करेंगे। उपचुनाव के लिए निर्धारित 10 रिक्त विधानसभा सीटों में से पांच पर सपा के मौजूदा सदस्य थे। भारत के चुनाव आयोग ने नौ सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा की है। लंबित रिट याचिका के कारण मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई है।
सपा नेता ने कहा, हम फूलपुर में मामूली अंतर से हारे हैं। हमें मझवां सीट साझा करने में भी कोई तर्क नहीं दिखता। सीट बंटवारे के बारे में औपचारिक घोषणा किए जाने से पहले इस मुद्दे पर कांग्रेस और सपा नेतृत्व के बीच होने वाली अंतिम दौर की बातचीत के नतीजे पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। सपा ने उपचुनाव के लिए पहले ही सात उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव अविनाश पांडे पहले ही कह चुके हैं कि सपा को कांग्रेस के साथ बातचीत करने के बाद अपने उम्मीदवारों की घोषणा करनी चाहिए थी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
सपा के साथ मिलकर लड़ेंगे उपचुनाव : आराधना
कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि दोनों दल एक-दूसरे के साथ गठबंधन करके उपचुनाव लड़ेंगे और सीट बंटवारे को लेकर अभी भी चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि इस संबंध में जल्द ही घोषणा की जाएगी। राष्ट्रीय लोक दल, जो अब भाजपा का सहयोगी है, ने 2022 में सपा के साथ गठबंधन करके खैर (अलीगढ़) सीट पर चुनाव लड़ा था और भाजपा से हार गया था। तीसरे स्थान पर रहते हुए, रालोद-सपा उम्मीदवार ने खैर में कांग्रेस से अधिक वोट हासिल किए, जो चौथे स्थान पर थी। गाजियाबाद में, सपा दूसरे स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस 2022 में चौथे स्थान पर रही।