अलीगढ़ के रामघाट रोड निरंजनपुरी इलाके में एक वेब डिजाइनिंग सेंटर की आड़ में बैंकों से लोन दिलाने का गोरखधंधा चल रहा था। क्वार्सी पुलिस ने सर्विलांस की मदद से इस गोरखधंधे का भंड़ाफोड़ करते हुए मौके से छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अभी इस गैंग के सरगना सहित चार लोग फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है। यह रैकेट लोगों को कॉल कर बैंक से ऋण दिलाने का ऑफर देता था और इच्छुक व्यक्ति से फाइल चार्ज के नाम पर रुपये लेकर ठगते थे। इसके बाद उसका नंबर ब्लाक कर देते। अब तक इस रैकेट ने बड़ी संख्या में लोगों को ठगा है।
क्वार्सी पुलिस को इनपुट मिला था कि निरंजनपुरी में एक किराये के भवन में इस तरह का रैकेट चल रहा है। इस सूचना पर एसएसआई नौशाद अली खां ने सर्विलांस के सहयोग से पुलिस टीम लेकर मंगलवार को मौके पर दबिश दी। इस दौरान देवेश गोयल के मकान में आधा दर्जन युवक व सात युवतियां मिलीं। युवकों ने पूछताछ में स्वीकारा कि यहां उन्होंने जनवरी में दस हजार रुपये प्रतिमाह में ऑफिस किराये पर लेकर वेब डिजाइनिंग व एप्लीकेशन-सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट का काम शुरू किया। जिसका हमारे पास रजिस्ट्रेशन भी है। लेकिन मौके पर वे रजिस्ट्रेशन नहीं दिखा सके और न ही यह व्यापार चल पाया।
इसी बीच उन्होंने फर्जी फाइनेंस कंपनी चलाने की साजिश रची। जिसके लिए कुछ युवतियों को सात हजार रुपये प्रतिमाह में किराये पर रखा। उन्हें कीपेड मोबाइल मुहैया कराए गए और मोबाइल नंबर व नामों की सूची मुहैया कराई। युवतियां लोगों को कॉल कर ऋण ऑफर करतीं। जो व्यक्ति इच्छुक होता, उसकी कॉल अभिषेक या दीपेश को ट्रांसफर की जाती। आगे की डील वहीं करते थे। ये लोग इच्छुक व्यक्ति से फाइल चार्ज के नाम पर 25 सौ से लेकर 15 हजार रुपये तक ऑनलाइन ट्रांसफर कराते और उसका नंबर ब्लाक कर देते थे। अब तक अनगिनत लोगों से उन्होंने रुपये ट्रांसफर कराए होंगे। इसका हिसाब खातों की डिटेल से ही मिल सकेगा।
आगरा के खातों में मंगाते थे रुपये, उन्हें देते हिस्सा
इसके लिए इस गैंग ने आगरा के धीरज, साहिल व एक अन्य विपिन के बैंक खाते व वायलेट एकाउंट प्रयोग में लिए थे। उन्हीं के खातों व वायलेट एकाउंटों में वे अपने शिकार से रुपये डलवाते थे। इस रुपये को वहां से दशरथ उन्हें यहां लाकर देता था। खाता धारकों को निर्धारित कमीशन दिया जाता था। यहां आने पर रुपया सभी में काम के अनुसार बांटा जाता था।
युवतियों को नहीं पता कुछ, उन्हें छोड़ा गया
इस दफ्तर में मौके पर पकड़ी गईं युवतियों में से सातों शहर के अलग अलग इलाकों की रहने वाली थीं। पूछताछ में उन्होंने स्वीकारा कि ऑनलाइन नौकरी सर्च करने पर उन्हें यहां क्विक इंडिया फाइनेंस में नौकरी मिली। किसी को चार माह तो किसी को चार दिन पहले ही नौकरी मिली है। उन्हें बताया गया था कि उनकी कंपनी लोन कराती है। उनकी जिम्मेदारी सिर्फ कॉल करने की थी। लिस्ट के अनुसार नंबर पर कॉल करने पर अगर व्यक्ति इच्छुक नहीं है तो उसके आगे एनआई, नंबर नहीं लगने पर एनसी, इनवेलिड, नोट कनेक्टेड, नोट प्रेजेंट, कट या ऑफ लिखते थे। जिसने इच्छा जताई, उसकी कॉल ट्रांसफर करते थे। उसके आगे क्या होता, उन्हें कुछ नहीं पता। बॉस लोगों ने अपनी कंपनी का मुख्यालय पुणे महाराष्ट्र बताया था। इस तथ्य के उजागर होने पर सभी को परिजनों को बुलाकर सुपुर्द किया गया।
सभी छह गिरफ्तारों को जेल भेजने की तैयारी
मंगलवार को हुई गिरफ्तारी के बाद इन सभी से पूछताछ हुई साक्ष्य संकलन आदि की प्रक्रिया के बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। इंस्पेक्टर क्वार्सी विजयकांत शर्मा के अनुसार सभी को जेल भेजने की तैयारी है।