खान-पान के सामान में थूक, पेशाब और मल मिलाने की घटनाओं के बीच उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दो कानून लाने जा रही है जिसके तहत दस साल की सजा हो सकती है। यूपी सरकार ने मंगलवार को जारी बयान में इसके बारे में बताया है। योगी सरकार के प्रस्तावित कानून का नाम UP Prevention of Contamination (Consumer Right to Know) और UP Prevention of Impersonation and Anti-harmony Activities and Prohibition of Spitting होगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इन विधेयकों में दस साल की सजा के साथ ही दुकान का लाइसेंस कैंसिल करने और भारी जुर्मान लगाने का भी प्रावधान होगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश आम लोगों की सेहत और खान-पान के सामान की शुद्धता को लेकर इस तरह का कानून बनाने वाला पहला राज्य होगा। प्रस्तावित विधेयक में जान-बूझकर इस तरह का काम करने पर कड़ी सजा का प्रावधान होगा। अगर खान-पान की दुकान पर विदेशी प्रवासी काम करते मिले तो उस पर भी सख्ती का उपाय इस विधेयक में होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राज्य के गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय, पुलिस, विधायी विभागों, खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक में इन दोनों प्रस्तावित कानून के अंतिम मसौदे पर विचार-विमर्श किया। सहारनपुर, गाजियाबाद और शामली जिलों में सितंबर महीने के अंदर जूस में पेशाब मिलाने, रोटियों और जूस पर थूकने के मामले सामने आए हैं।
एक सीनियर अफसर ने कहा कि नए कानून इस तरह की बदमाशियों को रोकने के मकसद से बनाए जा रहे हैं और इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अगर कोई ऐसा करते हैं तो वो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने बताया कि UP Prevention of Contamination (Consumer Right to Know) ordinance से ग्राहक को ये जानने का अधिकार हासिल होगा कि खाने के सामान में किन चीजों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं U.P. Prevention of Impersonation and Anti-harmony Activities and Prohibition of Spitting ordinance कानून बनने पर ग्राहकों को खान-पान की दुकान के मालिक और स्टाफ की पहचान का अधिकार देगा।
ये दोनों विधेयक कानून कैसे बनेंगे
संविधान में किसी भी राज्य को उसके अधीन रखे गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है। विधेयक को सबसे पहले कैबिनेट की मंजूरी मिलेगी जिसमें उत्तर प्रदेश में कोई शक की जगह ही नहीं है। इसके बाद एक रास्ता ये है कि सरकार विधेयक को विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में पेश करे और दोनों सदनों से पास होने के बाद राज्यपाल उसकी अधिसूचना जारी करें। दूसरा रास्ता है कि सरकार दोनों विधेयक को राज्यपाल के हस्ताक्षर से अध्यादेश के तौर पर लागू कर दे। इस सूरत में दोनों कानून को लागू होने के बाद भी छह महीने के अंदर विधानमंडल से पास कराना होगा। पहले सदन से पास कराएं और फिर राज्यपाल आदेश जारी करें या पहले राज्यपाल आदेश जारी करें और बाद में सदन से पास कराएं। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के समीकरण को देखते हुए किसी भी रास्ते में कोई अड़चन नहीं है।