रायपुर : सनातन धर्म में बेलपत्र का बेहद महत्व महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसे भगवान भोलेनाथ को पूरे भक्ति भाव से चढ़ाया जाता है. दरअसल प्रकृति से हमें बहुत सारी ऐसी चीजें वरदान के रूप में मिली हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी हैं. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से भी तरह-तरह के बीमारियों का इलाज संभव है. सदियों से हमारी प्रकृति के द्वारा बहुत सारे औषधीय पौधे हमें वरदान के रूप में मिले हैं. इन्हीं में से एक है बेलपत्र का जिसके सभी भाग बेहद लाभकारी हैं. आइए आज हम आपको बेल पत्र, बेल पेड़ के छाल और बेल फल के औषधीय गुणों के बारे में बताने वाले हैं.
राजधानी रायपुर स्थित शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश सिंह ने Local18 के माध्यम से बताया कि बेल के पौधे में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं. साथ ही बहुत सारे रूमेटिक कंपाउंड पाए जाते हैं. बेल के पत्ती और छाल से रायपुर स्थित आयुर्वेदिक महाविद्यालय में चिकित्सा पद्धति से इलाज किया जाता है.
विशेष रूप में मधुमेह यानी डायबिटीज में बेल पत्रों का प्रयोग करते हैं. इसके अलावा छाल और मूल का दशमूल के तरीके से सोथ नाशक बनाया जाता है. इसके अलावा उदर रोग यानी पेट से संबंधित समस्या, पेट में मरोड़ आने पर इसके छाल का प्रयोग कर सकते हैं.
आगे कहा कि कच्चे बेल के गुदा का डिसेंट्री यानी पेचिश, दस्त में प्रयोग किया जाता है. लेकिन पका हुआ बेल का पानक बनाया जाता है जो गर्मी के महीनों में बेहद लाभकारी होता है. पके हुए बिल्वपत्र को खाने से उसमें मल को साफ करने की क्षमता होती है. कच्चा फल मल को रोकता है बांधता है लेकिन पका फल मल को बाहर करता है. मधुमेह में पत्र चूर्ण ही प्रयोग किया जाता है. जैसे गणेशजी के ऊपर बिल्वपत्र चढ़ाते हैं उसका कारण यही होता है कि वे एक हाथ में मोदक है जो कपित जम्बू होता है इस तरह यह प्रमेय नाशक होता है. इसी तरह बिल्वपत्र का प्रयोग होता है. बेल पत्ते का चूर्ण बनाकर सीधा प्रयोग किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 23:26 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.