कानपुर IIT की छात्रा ने सुसाइड के लिए ऑनलाइन रस्सी मंगाई थी। पुलिस मान रही है कि छात्रा ने सुसाइड के लिए ही ऑनलाइन रस्सी मंगवाई थी। वहीं कमरे में पुलिस को पांच पन्ने का सुसाइड नोट मिला। दोस्तों को थैक्स लिखा है।
आईआईटी कानपुर के हॉस्टल में ढाई साल से रह रही रिसर्च स्कॉलर प्रगति गुरुवार को क्लास में नहीं पहुंची। दोस्तों ने उसे कई बार फोन किया पर मोबाइल नहीं उठा। हॉस्टल जाकर वार्डन को सूचना दी। वार्डन के साथ कमरे के बाहर खड़े होकर जब दोस्तों ने प्रगति को फोन किया। तो उसके मोबाइल की रिंगटोन बाहर सुनाई देने लगी। कमरे के रोशनदान से झांका तो प्रगति का शव नॉयलान की रस्सी के सहारे झूलता दिखा। आईआईटी प्रबंधन को वार्डन ने सूचना दी। वहां से जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने कमरे की छानबीन की। पुलिस को मौके से रस्सी की ऑनलाइन डिलीवरी का एक खाली पैकेट, स्टूल और पलंग मिला जिसका प्लाई टूटी हुई थी। पुलिस ने ऑनलाइन डिलीवरी के खाली पैकेट को भी कब्जे में लिया है। पुलिस मान रही है कि छात्रा ने सुसाइड के लिए ही ऑनलाइन रस्सी मंगवाई थी। वहीं कमरे में पुलिस को पांच पन्ने का सुसाइड नोट मिला। छात्रा ने लिखा कि मैं अपनी मौत की खुद जिम्मेदार हूं। नोट में उसने अपने दोस्तों के लिए लिखा ‘आप लोगों ने मुझे बहुत कोऑपरेट किया, थैंक्स’।
भतीजी से वीडियो कॉल पर की थी बात प्रगति के पिता ने बताया कि उनके तीनों बेटे सत्यम, शिवम, सुंदरम और बेटी प्रगति पढ़ने में बहुत होनहार रहे हैं। बड़ा भाई सत्यम बीटेक करने के बाद अपना व्यापार कर रहा है। दूसरा बेटा शिवम एनटीपीसी और तीसरा बेटा सुंदरम इंफोसिस में इंजीनियर है। प्रगति हाई स्कूल और इंटर की परीक्षा टॉपर रही थी। दिल्ली के हंसराज कॉलेज से बीएससी और बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से प्रगति ने एमएससी किया था। जिसके बाद उसने आईआईटी कानपुर में अर्थ साइंस विषय पर रिसर्च के लिए दाखिला लिया था।
मेधावी प्रगति फेलोशिप से कर रही थी परिवार की मदद प्रगति पीएचडी में तृतीय वर्ष की छात्रा थी और उसके 8.13 सीपीआई अंक हैं। प्रगति की अंकतालिका में किसी भी तरह का कोई निशान तक नहीं लगा। इससे पढ़ाई या रिसर्च से जुड़े तनाव को लेकर पूरा संस्थान मानने को तैयार नहीं है। वहीं, प्रगति को लगभग 40 हजार स्कॉलरशिप मिलती है। इसी से लगातार परिवार की मदद कर रही थी।
मैं जिन्दगी में और बेहतर कर सकती थी, पर कर नहीं सकी..
मैं जिन्दगी में और बेहतर कर सकती थी, लेकिन कर नहीं सकी..। मैं स्वीमिंग करने नहीं जा पाई। जिम नहीं जा पा रही हूं। अपनी जिन्दगी से संतुष्ट नहीं हूं। मुझे काफी कुछ करना था। जिसे मैं चाहकर भी नहीं सकी। यह दर्द हिंदी और अंग्रेजी में लिखे सुसाइड नोट में प्रगति ने बयां किया है। हालांकि प्रगति ने सुसाइड नोट में किसी को भी मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सुसाइड नोट में लिखी बातों को पढ़ें तो प्रगति काफी डिप्रेशन में थी। पहले पन्ने में उसने एक लड़के का नाम, उसका मोबाइल नंबर और कॉल करने की बात लिखी है। फिर सारा पैसा और गहने उसको देने को कहा है। लड़का ग्वालियर का है। अगले पन्ने में जिन्दगी का दर्द और असफलता की बात कही है। लिखा बहुत कुछ कर सकती थी, लेकिन कर नहीं पा रही हूं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हैंगिंग की पुष्टि हुई है।
गौरतलब है कि प्रगति ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से एप्लाइड जियोलॉजी में एमएससी करने के बाद वर्ष 2021 में आईआईटी कानपुर में पीएचडी में दाखिला लिया था। वह प्रो. ताजदारुल हसन सैय्यद की देखरेख में शोध कर रही थी। सूत्रों के अनुसार ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में दाखिला लिया था।
छात्रों ने देर शाम की शोक सभा प्रोफेसर से लेकर छात्र तक यह मानने को तैयार नहीं थे कि प्रगति ने सुसाइड कर जान दे दी है। वह मेधावी थी पीएचडी में लगभग 80 फीसदी से अधिक अंक भी साबित कर रहे थे। संस्थान के सभी वरिष्ठ अधिकारी व प्रोफेसर भी घटना की जानकारी मिलते ही हाल-4 पहुंचे। छात्रों ने देर शाम शोक सभा भी की।
मां ने बताया प्रबंधन को मौत का जिम्मेदार
प्रगति की मां संगीता रोते हुए बोली कि उनकी बेटी इतनी कमजोर नहीं थी कि वो आत्महत्या कर ले। वह हमेशा समाजसेवा में हाथ बटाती थी। अपने मोहल्ले की गली भी उसने जन प्रतिनिधियों से बात कर बनवाई थी। संगीता ने आईआईटी प्रबंधन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। हालांकि उन्होंने देर शाम तक पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी। उन्होंने बताया बुधवार रात बेटी से वीडियो कॉल पर बात की थी। तब उदास लग रही थी। पूछने पर उसने तबीयत ठीक न होने की बात कही थी। रात में मुझे घबराहट भी हो रही थी। गुरुवार दोपहर दो बजे आईआईटी प्रबंधन से फोन आया कि बेटी ने आत्महत्या कर ली है। उनका आरोप है कि जब वे वहां पहुंची तो उनके सामने दरवाजा नहीं खोला गया। यहां तक कि प्रगति द्वारा लिखा गया सुसाइड नोट भी देखने नहीं दिया गया। संगीता ने आरोप लगाया कि बेटी की मौत का जिम्मेदार प्रबंधन है।
हॉस्टल में कमरा सजा मनाया था भतीजी का जन्मदिन
भाई सत्यम ने बताया कि बेटी दिशा सात सितंबर को बर्थडे था। प्रगति ने अपने हॉस्टल के कमरे को खूब सजाया भी था। पिता गोविंद ने बताया रिसर्च के दौरान मिलने वाले रुपयों को जोड़कर घर की मदद करती थी। उसने अपने बड़े भाई के कारोबार को स्थापित करने में भी मदद की थी। घर बनवाने में भी सहयोग किया।
खुशमिजाज थी प्रगति
इलाके के सूरज, घनश्याम आदि लोगों ने बताया कि प्रगति काफी खुशमिजाज थी। सभी से वह हंस बोलकर बात करती थी। परिजनों ने बताया कि अभी रक्षाबंधन में वह तीन दिन यहां पर रुकी थी।
हिम्मती कह फफक पड़े पिता
पिता गोविंद ने बताया कि उनकी बेटी बहुत हिम्मती थी। ऐसा कदम कैसे उठा लिया। कहकर वह फफक पड़े। पोस्टमार्टम हाउस में घंटे रुकने के बाद भी आईआईटी की तरफ से कोई भी प्रतिनिधि ना आने पर नाराजगी जताई।