Lead adulteration in foods: लेड यानी खाद्य पदार्थों में सीसा की मिलावट के खिलाफ यूपी ने लंबी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। यह लड़ाई कई स्तरों पर लड़ी जाएगी। विश्व बैंक की भी इसमें मदद ली जाएगी। विश्व बैंक यूपी में एक व्यापक सर्वे करेगा। जिसमें सीसे की मिलावट और उसके स्रोतों का पता लगाया जाएगा। इसमें मसाले, पेंट, कॉस्मेटिक्स और पानी की लाइनों सहित अन्य स्रोतों पर फोकस किया जाएगा। यूएस एड और यूनिसेफ भी इसमें मदद करेंगे।
वहीं स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों की टीमें भी यूपी के बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर इसके प्रभावों का अध्ययन करेगी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग सीसा मिश्रित पदार्थों के खिलाफ व्यापक मुहिम चलाएगा। यह तमाम फैसले मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की मौजूदगी में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में लिए गए हैं। इस बैठक में विश्व बैंक, यूनिसेफ, यूएस एड, स्वास्थ्य विभाग, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग सहित कई अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में चर्चा का विषय नीति आयोग की वो रिपोर्ट रही, जिसमें लेड की मिलावट से देश के सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में यूपी भी प्रमुख है। अन्य प्रभावित प्रदेशों में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश हैं। साथ ही सीसा विषाक्तता (लेड प्वाइजनिंग) के संभावित स्त्रोतों में बैटरी री-साइक्लिंग, सीसा खनन, वेल्डिंग, सोल्डरिंग सहित कई अन्य चीजों के साथ मिलावटी मसालों, सौंदर्य प्रसाधनों, पारंपरिक दवाओं और पानी की पाइप लाइन जैसी कई चीजों को बताया गया है।
प्रभावित आबादी को चिन्हित करेंगे विशेषज्ञ
अब इन्हीं सब बिंदुओं को लेकर विश्व बैंक यूपी में एक वृहद सर्वेक्षण कराएगा ताकि यहां लेड प्वाइजनिंग के मुख्य कारणों को खोजा जा सके। दरअसल, इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव 19 साल से कम आयु वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर है। औसत रक्त सीसा स्तर (बीएलएल) की निगरानी के जरिए प्रभावित आबादी की पहचान, बीएलएल में वृद्धि के स्त्रोतों का पता लगाने और इसके उपचार के तंत्र को मजबूत करने की दिशा में भी काम होगा। इन सब बिंदुओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों की टीम सर्वेक्षण करेगी। इसमें लोहिया, पीजीआई, केजीएमयू सहित अन्य बड़े संस्थानों के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए स्वास्थ्य सचिव रंजन कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
आईक्यू घटाने से लेकर जानलेवा भी है लेड
धीमी गति से अपरिवर्तनीय मस्तिष्क क्षति, बच्चों की बौद्धिक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव, तंत्रिका तंत्र और रक्त निर्माण के साथ लिवर को भी प्रभावित करता है। अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के साथ ही असमय मृत्यु भी हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में सीसे के जहर का असर गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर पड़ता है। दुनिया भर में लेड की विषाक्तता से करीब 800 मिलियन बच्चे प्रभावित हैं, इनमें से 27 करोड़ से अधिक सिर्फ भारत में हैं।