नई दिल्ली: कांग्रेस से निकाले जाने के बाद बीजेपी में शामिल होने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है, ‘’अगर राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करते रहेंगे तो 2047 तक कांग्रेस के सत्ता में लौटने की कोई संभावना नहीं है।” उन्होंने राहुल की बहन प्रियंका गांधी को “कांग्रेस की सबसे लोकप्रिय नेता” बताया और कहा कि “जब तक प्रियंका को पार्टी की कमान नहीं मिल जाती, तब तक पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती”। प्रमोद कृष्णम को इस साल की शुरुआत में कांग्रेस ने निष्कासित कर दिया था और बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए थे। ‘आप की अदालत’ में आचार्य प्रमोद कृष्णम का पुनर्प्रसारण रविवार सुबह 10 बजे और रात 10 बजे होगा।
लोकप्रिय टीवी शो ‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी के मौजूदा हालात के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। अपने बयान नेहरू-गांधी परिवार में अगर राहुल पैदा न हुए होते, तो उन्हें कोई चपरासी की नौकरी न देता पर बोलते हुए आचार्य ने कहा, ‘यह भाषा अशोभनीय नहीं, सराहनीय है। सच को सच कहना बड़ा मुश्किल होता है, लेकिन जितना सच को सच कहना मुश्किल है, उतना ही मुश्किल है सच को सुनना। और सच को सुनना जितना मुश्किल है, उतना ही सच को स्वीकार करना मुश्किल है। यदि इस सच को कांग्रेस स्वीकार कर लेती, तो कांग्रेस की आज दुर्दशा न होती।’
आचार्य ने कहा, “मैं राहुल गांधी का विरोधी नहीं हूं। अगर मैं राहुल गांधी का विरोधी होता तो उन्हें ये सलाह क्यों देता कि भैया, राम का निमंत्रण मत ठुकराओ। राम का निमंत्रण आना सौभाग्य होता है। जो राम का निमंत्रण ठुकरा दे, वो तो कहीं का भी नहीं रहेगा।”
रजत शर्मा: लेकिन आपने तो पहले भी राहुल को एक सच्चा व्यक्ति, एक सच्चा देशभक्त बताया था?
आचार्य: मैं तो आज भी कह रहा हूं राहुल गांधी जी के परिवार ने बलिदान दिया है, लेकिन परिवार ने जो बलिदान दिया है, उसका फल कब तक?This is the most important question in front of us. यह बड़ा सवाल है।
रजत शर्मा: आपने कहा कि प्रियंका को राय बरेली से लड़ना चाहिए, प्रियंका को प्रधानमंत्री बनना चाहिए। आप झगड़ा नहीं लगा रहे?
आचार्य: मैं बिलकुल कहता था और आज भी कहता हूं, लेकिन अब वो होना मुश्किल है। जब तक कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथ में है, प्रियंका गांधी का कुछ नहीं हो सकता और जब तक प्रियंका गांधी के हाथ में कमान नहीं आएगी, इस कांग्रेस का कुछ नहीं हो सकता। जहां तक सवाल है प्रधानमंत्री के पद का, तो मुझे लगता है कि 2047 तक अभी कोई चांस किसी का है नहीं। कल तक मैं प्रियंका गांधी के साथ था, आज मैं नरेंद्र मोदी के साथ हूं।
इस सवाल पर कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस की कमान क्यों नहीं दी जा रही, आचार्य ने कहा, “यही तो सवाल है, इसी के चक्कर में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया गए, जितिन प्रसाद गए, आरपीएन सिंह गए, अशोक चह्वाण गए, गौरव वल्लभ गए राधिका खेड़ा गईं। लाइन लगी पड़ी है। वो तो कहीं और इनकी गुंजाइश नहीं है, नहीं तो और भी जाने को तैयार बैठे हैं। राहुल गांधी के साथ एक चांडाल चौकड़ी है। यह वो कांग्रेस नहीं है जो सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी की कांग्रेस थी। यह कांग्रेस तो राहुल गाधी के इर्दगिर्द रहने वाले कुछ लबड़ गट्टे चला रहे हैं।”
कांग्रेस पार्टी में करीब चार दशक बिता चुके आचार्य ने कहा, “कांग्रेस में बहुत से ब्रूटस घूम रहे हैं लेकिन ब्रूटस का पता तब लगता है जब खंजर लग गया होता है। इन्होंने दिग्विजय सिंह जी को भी नहीं छोड़ा। दिग्विजय सिंह जी को राहुल गांधी ने कहा कि आप नॉमिनेशन भर सकते हो, लेकिन सच बात ये थी कि दिग्विजय सिंह जब नॉमिनेशन भरने आए तो राहुल गांधी की जो चांडाल चौकड़ी थी, उन्हें तो ऐसा अध्यक्ष चाहिए था, जो रबड़ की मुहर हो, जो ये जहां कहें, वहां ठप्पा लगा दे। उन्हें कुछ डाउट (संशय) हुआ कि दिग्विजय सिंह जी की थोड़ी रीढ की हड्डी है, तो इन्होंने दिग्विजय सिंह को भी ऐसे ही साइड कर दिया।”
विपक्षी दलों के बारे में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “मैं तो ये कह रहा हूं कि इतनी बड़ी कांग्रेस को खत्म करने में 15 साल लगे राहुल गांधी को। अब राहुल को इस पूरे विपक्ष ने अपना नेता बना लिया। इस विपक्ष को खत्म करने में कितने दिन लगेंगे? स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक सशक्त विपक्ष होना चाहिए। बंदर की जमात नहीं होनी चाहिए।”
मोदी जैसा पीएम न कोई हुआ, न कोई होगा
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खूब प्रशंसा की। बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के तुरंत बाद इस वर्ष 19 फरवरी को मेरठ के निकट संभल में मोदी ने आचार्य के कल्कि धाम की आधारशिला रखी थी।
रजत शर्मा ने जब आचार्य से पूछा कि आपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाया कल्कि धाम के शिलान्यास के लिए, आप तो राहुल या सोनिया गांधी को बुला सकते थे, तो प्रमोद कृष्णम ने कहा, ‘माथा देख कर टीका लगाया जाता है। हमारी आस्था का आधार है। यह हमारी श्रद्धा का केंद्र है, हमारी श्रद्धा का शिखर है। किसी भी मंदिर की आधारशिला रखने के लिए हाथों का पवित्र होना जरूरी है। ये भाजपा या कांग्रेस या राजनीति का सवाल नहीं है। यह सनातन की परंपराओं का सवाल है। कल्कि धाम का शिलान्यास किसी ऐसे व्यक्ति से नहीं कराया जा सकता जो बीफ खाने की वकालत करता है। मुझे इस देश के अंदर किसी भी राजनीतिक दल में नरेंद्र मोदी जैसे पवित्र हाथ किसी के नहीं लगे जिससे कल्कि धाम का शिलान्यास कराया जा सके। आप मुझे सूली पर लटका दें लेकिन मैं ये बात आखिरी सांस तक कहूंगा कि नरेंद्र मोदी एक ऐसे शख्स हैं, इस देश की राजनीति में, आजादी के बाद तमाम तरह के प्रधानमंत्री हुए, मैं सबका सम्मान करता हूं, सबने अपने तरीके से देश की सेवा की लेकिन नरेंद्र मोदी जैसा न कोई हुआ है, ना होगा।”
आचार्य ने कहा, “इस देश में एक गरीब चाय वाले के घर में पैदा हुआ व्यक्ति, भारत के प्रधानमंत्री के रूप में 500 साल के संघर्ष को खत्म करके जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करता है, तब सनातन जागृत होता है। जिस व्यक्ति पर भगवान की असीम कृपा होती है, वही इतने बड़े-बड़े फैसले इतनी सरलता से ले सकता है। अगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना होते, तो न 370 हटती, न राम मंदिर का निर्माण होता, न तीन तलाक हटता। जिस तरह सम्राट अशोक, सम्राट चंद्रगुप्त, जैसे बहुत से सम्राट हुए, लेकिन सम्राट विक्रमादित्य की तुलना नहीं की जा सकती, उसी तरह भारत में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की तुलना नहीं की जा सकती।”
DMK का मतलब है ‘डेंगू, मलेरिया, कोढ़’
आचार्य ने डीएमके सरकार के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन पर सनातन धर्म की तुलना ‘डेंगू, मलेरिया’ से करने के लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा, “डीएमके कांग्रेस और राहुल गांधी की सबसे प्रिय पार्टी है, जो कहती है सनातन तो डेंगू हैं, मलेरिया है। तब मैंने कह दिया कि डीएमके का फुल फार्म डेंगू, मलेरिया, कोढ़ है। इन लोगों ने कहा राम काल्पनिक है, बाबर वास्तविक है। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पब्लिक मीटिंग में कहा, अगर मोदी इस बार प्रधानमंत्री बन गए तो सनातन का राज आ जाएगा। खरगे के सुपुत्र कहते हैं, सनातन एक गंदा शब्द है।”