विंढमगंज (वीरेंद्र कुमार)
विंढमगंज। स्थानीय क्षेत्र से होकर गुजरने वाली रांची रीवा राष्ट्रीय राजमार्ग पर सलैयाडीह ग्राम पंचायत में स्थित मां काली मंदिर पर नवरात्र में स्थानीय सैकड़ों महिलाये व पुरुषों का जत्था प्रतिदिन शाम को आरती में एकत्रित होकर घंटों मां की पूजन अर्चन मधुर मधुर ध्वनि विस्तारक यंत्र पर किया जाता है।ऐसी मान्यता है कि सच्चे हृदय से पूजा अर्चन करने पर मां का आशीर्वाद भक्तों को अवश्य प्राप्त होता है तथा मनवांछित मनोकामना पूर्ण होती है। नवरात्रि के पावन पर्व पर मां काली की अद्वितीय प्रतिमा को लेकर ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेज हुकूमत के जमाने में विंढम साहब के द्वारा निर्मित पोखरे के भिट्ठे पर आदिवासियों के द्वारा क्षेत्र में दैवी आपदा को रोकने के लिए स्थापित किया गया था।तब से ही इस मंदिर की महत्ता दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है।मंदिर के पुजारी मनोज तिवारी ने बताया कि वर्ष में दो बार नवरात्रि के पावन पर्व पर क्षेत्र के सैकड़ों महिलाये व पुरुषों द्वारा प्रतिदिन सायं को माता काली की आरती के दौरान लगभग 1 घंटे भक्ति भजन किया जाता है तथा मन की मुराद को पूरा करने के लिए मन्नते भी मांगी जाती है।
नौ दिन के नवरात्र में पूजन अर्चन का अलग ही महत्व है। इस दौरान मंदिर परिसर में लगे ध्वनि विस्तारक यंत्र से पूरा परिक्षेत्र में माता रानी के गीत व भजन गुजता रहता है। जिससे पूरा क्षेत्र भक्ति भाव में डूब जाता है।प्रतिदिन स्थानीय लोगों के द्वारा महाप्रसाद का वितरण किया जाता है तथा मां काली की आरती में भाग लेकर के लोग अपने आप को धन्य समझते हैं।मां काली की प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है।मां की प्रतिमा काली ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई है।इस प्रतिमा को किसने और कब बनाया इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है।ऐसी मान्यता है कि 1807 के आसपास यह प्रतिमा जमीन से निकली थी जिसकी आदिवासी लोग पूजा करते थे।200 साल से अधिक समय होने के बाद भी मां का प्रतिमा दिन-प्रतिदिन चमकती जा रही है।पूरे नवरात्र को सकुशल संपन्न करने के लिए संरक्षक अशोक जायसवाल, पप्पू जायसवाल, पप्पू गुप्ता, नंदलाल केसरी, ऋषि जायसवाल, अध्यक्ष प्रवेश कुमार गुप्ता, कोषाध्यक्ष राजू रंजन तिवारी समेत दर्जनों सदस्य निगरानी में लगे रहते हैं।