दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से कहा है कि वे जानकारी मांगे जाने के अनुरोधों को निपटाने के संबंध में अपनी एसओपी बताएं। जानें अदालत ने क्या बातें कही…
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से एक तीखा सवाल पूछा है। अदालत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से कहा है कि वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies) की ओर से जानकारी मांगे जाने के अनुरोधों को निपटाने के संबंध में एसओपी बताएं। अदालत ने जानकारी मांगे जाने के अनुरोधों को निपटाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से निर्धारित टाइमलाइन के बारे में भी जानकारी मांगी है।
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए जरूरी है कि वे उचित समयसीमा का पालन करें ताकि बिना देर किए लापता व्यक्तियों, जो कभी-कभी बच्चे भी होते हैं, का पता लगाने में बाधा न आए। इसके साथ ही न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने गूगल, टेलीग्राम और एक्स समेत कई सोशल मीडिया कंपनियों को नोटिस जारी किया।
अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि कुछ मामलों में प्लेटफार्मों की ओर से पुलिस को जानकारी देने के संबंध में देर किया गया है। अदालत ने यह आदेश 19 वर्षीय एक लड़के के माता-पिता की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। यह लड़का जनवरी से कथित रूप से लापता था।
पीठ दिए गए आदेश में कहा कि प्लेटफार्म अगली तारीख को कानून प्रवर्तन एजेंसियों से सूचना के अनुरोधों से निपटने के लिए समयसीमा सहित अपने मानक संचालन प्रोटोकॉल पेश करेंगे। पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह की देरी और अंतराल गुमशुदा व्यक्तियों, जो कभी-कभी बच्चे और नाबालिग भी होते हैं, का पता लगाने की प्रक्रिया में बाधा न बने। यह आवश्यक है कि संबंधित ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और उनके संबंधित अधिकारियों द्वारा उचित समयसीमा का पालन किया जाना चाहिए।