इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की ओर से संचालित डीएलएड दो वर्षीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता इंटरमीडिएट से बढ़ा कर स्नातक करने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में जारी 9 सितंबर 2024 के शासनादेश के उस अंश को रद्द कर दिया है, जिसमें दो वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश की अर्हता को बढ़ाकर इंटरमीडिएट से स्नातक कर दिया गया था। कोर्ट ने प्रदेश सरकार के निर्णय को असंवैधानिक, मनमाना और भेदभाव पूर्ण करार दिया है। यशांक खंडेलवाल और नौ अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि प्रवेश प्रक्रिया 12 दिसंबर तक चलेगी इसलिए सभी याचियों को प्रवेश में भाग लेने की अनुमति दी जाए।
याचिका में 9 सितंबर 2024 को जारी शासनादेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि इसमें डीएलएड दो वर्षीय पाठ्यक्रम की अर्हता राज्य सरकार ने इंटरमीडिएट से स्नातक कर दी है, जबकि डीएलएड (स्पेशल कोर्स) जो दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने का प्रशिक्षण है, उसकी अर्हता इंटर ही है। इस आदेश से कुछ वर्ग के अभ्यर्थियों से भेदभाव होगा जो डीएलएड में प्रवेश चाहते हैं क्योंकि इसके स्पेशल कोर्स की अर्हता अब भी इंटर है, इससे वर्ग में वर्ग पैदा हो जाएगा।
सरकार की दलील, यह उसका नीतिगत निर्णय
सरकार का तर्क था कि उसे एनसीटीई द्वारा तय योग्यता से उच्च योग्यता तय करने का अधिकार है। यह उसका नीतिगत निर्णय है जिसका न्यायिक पुनरावलोकन संभव नहीं है। यह तभी हो सकता है जब आदेश असंवैधानिक हो। कोर्ट ने कहा कि निजी संस्थानों में इसी पाठ्यक्रम की अर्हता इंटरमीडिएट है। सरकार से डीएलएड डीएलएड स्पेशल कोर्स के लिए अलग-अलग योग्यता तय करना वर्ग में वर्ग पैदा करना है, जबकि दोनों में तात्विक फर्क नहीं है।
12वीं पास को मौके से सभी सीटें भर सकेंगी
हाईकोर्ट के आदेश पर यदि डीएलएड में प्रवेश की न्यूनतम अर्हता इंटर पास होती है तो सभी सीटें भरने की उम्मीद बढ़ जाएगी। छह साल से कोई शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण डीएलएड पाठ्यक्रम के प्रति रुझान कम हुआ है।
यही कारण है कि पिछले साल बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में अनर्ह करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश में डीएलएड की 70,100 सीटें खाली रह गई थीं। उधर, हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बेसिक शिक्षा विभाग ने स्पेशल अपील की तैयारी शुरू कर दी है। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने हाईकोर्ट का आदेश देखने के बाद विधिक राय लेनी शुरू कर दी है।