उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में किसानों के लिए बड़ी पहल शुरू की गई है। पॉली हाउस प्रबंधन के गुर सिखाकर किसानों को आर्थिक रूप से और सशक्त किया जाएगा। पॉलीहाउस तकनीक से फैसलों का अधिक उत्पादन होता है।
रायबरेली में किसानों को समृद्ध बनाने के लिए बड़ी पहल शुरू की गई है। पॉली हाउस प्रबंधन के गुर सिखाकर किसानों को आर्थिक रूप से और सशक्त किया जाएगा। कृषि वैज्ञानिक पॉली हाउस में किस तरह से कृषि की जाती है, उसके नफा-नुकसान के बारे में बता रहे हैं। ताकि किसान इस तकनीक से खेती कर सकें।
आमदनी बढ़ाने और उन्हें उन्नत तकनीक से खेती करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र दरियापुर किसानों को प्रशिक्षित कर रहा है। किसानों को पॉली हाउस प्रबंध तकनीक पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि किसान इस तकनीक का उपयोग करके खेती कर सकें। प्रशिक्षण में ग्रीन हाउस स्थापना स्थल का चयन, निर्माण सामग्री, फसल उत्पादन, शीतलन प्रणाली, पोषक तत्व एवं प्रबंधन, रोग एवं कीटों का नियंत्रण आदि की जानकारी दी जा रही है। 21 दिवसीय प्रशिक्षण के पहले चरण में 55 किसान पॉली हाउस प्रबंधन के गुर सीख रहे हैं। केंद्र की ओर से प्रयास किया जाएगा कि प्रशिक्षण के बाद किसान इस विधि का इस्तेमाल करें और उससे आमदनी भी बढ़ाएं।
मौसम पर रखा जा सकता है नियंत्रण प्रशिक्षण की अगुवाई कर रहे कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डा. शैलेंद्र विक्रम सिंह बताते हैं कि परंपरागत खेती में किसान मौसम के अनुरूप खेती करते हैं।
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि ग्रीन हाउस में टमाटर, शिमला मिर्च और फूलों में जरबेरा, गुलाब की खेती की जा रही है। इसमें शिमला मिर्च की रंगीन किस्मों का भी उत्पादन किया जा रहा है। ग्रीन हाउस प्रौद्योगिकी में उत्पादन सामान्य की तुलना में अधिक होता है। यह किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। वैज्ञानिक डा शैलेंद्र विक्रम सिंह बताते हैं कि इस प्रशिक्षण के लिए अगला बैच जल्द शुरू होगा। इसके लिए किसान संपर्क कर रहे हैं।
किसानों का भी बढ़ रहा रुझान
पॉली हाउस पद्धति से खेती करने में सरकार भी प्रोत्साहित करती है। इसमें आर्थिक सहयोग मिलता है ताकि किसान आसानी से इस पद्धति से खेती कर सकें। किसान इसकी जानकारी लेकर आर्थिक लाभ ले सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस पद्धति से खेती करने के लिए किसान इच्छुक हैं। उन्हें बस प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
उद्यान वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि किसानों को पॉली हाउस प्रबंध तकनीक पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस तकनीक से खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। किसानों का भी इसकी ओर रुझान बढ़ रहा है।