मोबाइल आज हर किसी के पास है. छोटे बच्चे इस पर कार्टून देख रहे हैं तो बड़े सोशल मीडिया पर स्क्रॉलिंग करते रहते हैं. मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग के 2022 के आंकड़ों के हिसाब से भारत में 120 करोड़ लोग मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं जिनमें से 60 करोड़ के पास स्मार्टफोन हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फोन आपको समय से पहले बूढ़ा बना रहा है. कई स्टडीज में यह साबित हो जा चुका है कि मोबाइल से एजिंग जल्दी होती है. अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी की स्टडी भी इस बात को साबित कर चुकी है.
मोबाइल की लाइट स्किन को करती डैमेज
गुरुग्राम के सीके बिड़ला हॉस्पिटल की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रूबेन भसीन पासी कहती हैं कि मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से आजकल एजिंग तेजी से हो रही है. मोबाइल की ब्लू लाइट की रेंज 400 से 500 नैनोमीटर होती है. जब यह लाइट लंबे समय तक स्किन के संपर्क में रहती है तो यह उसके बैरियर को डैमेज कर देती है. यही वजह है कि अब कम उम्र में लोग एजिंग के शिकार हो रहे हैं.
त्वचा का रंग बदलने लगता है
ब्लू लाइट हाइपर पिगमेंट का कारण भी बनती हैं. हमारे स्किन को मेलानिन नाम का केमिकल रेगुलेट करता है. जिन लोगों में यह केमिकल कम बनता है उनका स्किन कॉम्प्लेक्शन फेयर होता है लेकिन जिन लोगों में यह ज्यादा बनता है उनकी स्किन डार्क होती है. ब्लू लाइट एक एनर्जी है जो पिगमेंटेशन को गहरा करती है. इस वजह कई बार लोगों के चेहरे पर काले या भूरे रंग के स्पॉट दिखने लगते हैं. इसे फोटो एजिंग कहते हैं.
सनस्क्रीन और ब्लू लाइट फिल्टर से एजिंग को धीमा किया जा सकता है (Image-Canva)
स्किन ड्राई होने लगती है
डॉ. रूबेन भसीन पासी कहती हैं कि मोबाइल की ब्लू लाइट चेहरे के बीच वाली स्किन पर सबसे ज्यादा असर करती है. इससे स्किन टाइप बदलने लगता है और चेहरा ड्राई होने लगता है. ऐसे कई मरीज है जिनकी यह शिकायत रहती है कि पहले उनकी स्किन ऑयली थी और अब ड्राई हो गई है. दरअसल ब्लू लाइट स्किन की एपिडर्मिस की चारों लेयर को डैमेज कर देती है जिससे स्किन कोलेजन और इलास्टिसिटी खोने लगती है और चेहरा डल और ड्राई दिखने लगता है.
हर 3 घंटे में सनस्क्रीन लगाएं
स्किन पर मोबाइल की ब्लू लाइट सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों की तरह ही असर करती है. इससे बचने के लिए दिन में 3 बार सनस्क्रीन लगाना जरूरी है. सनस्क्रीन पूरे 12 महीने लगाना चाहिए. डॉ. रूबेन भसीन पासी के अनुसार सनस्क्रीन उतना ही जरूरी है जितना खाना या पानी पीना. आप भले ही घर पर रहे लेकिन सनस्क्रीन जरूर लगाएं. यह केवल ब्लू लाइट से ही नहीं बल्कि एलईडी लाइट और चूल्हे पर काम करते हुए गैस की हीट से भी स्किन को सुरक्षित रखता है. सनस्क्रीन सन प्रोटेक्शन के साथ हर तरह से स्किन प्रोटेक्शन के लिए सबसे बेस्ट है. इससे एजिंग की प्रक्रिया धीमी होती है.
सनस्क्रीन के साथ एंटी एजिंग प्रोडक्ट देंगे रिजल्ट
इंडियन स्किन टोन पर SPF 15 या SPF 30++ वाला सनस्क्रीन अच्छा रहता है. अगर कोई व्यक्ति एंटी ऐजिंग प्रोडक्ट लगा रहा है तो सनस्क्रीन के बिना उनका असर नहीं दिखता. इसलिए एंटी एजिंग प्रोडक्ट के साथ सनस्क्रीन जरूर लगाएं क्योंकि यह प्रोडक्ट स्किन को केवल हाइड्रेटेड रखते है और कोलेजन बढ़ाते हैं लेकिन सनस्क्रीन स्किन के लिए सुरक्षा कवच है.
सबसे पहले आंखों के नीचे पड़ती हैं लाइन
झुर्रियां एक उम्र के बाद सबको होती हैं लेकिन आजकल एजिंग 25 साल की उम्र में ही शुरू हो जाती है. मोबाइल लंबे समय तक चलाने से सबसे ज्यादा आंखों के नीचे फाइन लाइन दिखने लगती हैं. कुछ के चेहरे पर सैगिंग स्किन, मारियोनेट लाइन, लाफ लाइन भी बनने लगती हैं. एजिंग से बचने के लिए जरूरी है कि स्किन को हाइड्रेट रखें और मोबाइल को एक सीमित समय तक इस्तेमाल किया जाए. डॉ. रूबेन भसीन पासी कहती है कि डॉक्टर की सलाह पर 25 साल की उम्र में एंटी एजिंग के उपाय शुरू कर देने चाहिए.
25 साल की उम्र से एंटी एजिंग प्रोडक्ट इस्तेमाल करने शुरू कर देने चाहिए (Image-Canva)
ब्लू लाइट फिल्टर लगाएं और लाइफस्टाइल बदलें
बेंगलुरू के डॉ.करिश्मा एस्थेटिक्स क्लिनिक में प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. करिश्मा कागोडू मानती हैं कि ब्लू लाइट यूवी रेंज जितनी हानिकारक नहीं हैं लेकिन लंबे समय तक ब्लू लाइट के संपर्क में रहना भी स्किन के लिए अच्छा नहीं है. सूरज की यूवी ए रेज स्किन को अंदर तक डैमेज कर झुर्रियों का कारण बनती हैं जबकि यूवीबी रेज स्किन की आउट लेयर को डैमेज करती है जिससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है. ब्लू लाइट स्किन के लिए इतनी खतरनाक नहीं है लेकिन कुछ स्टडीज में यह जरूर साबित हुआ है कि इससे स्किन टोन डार्क हो सकती है. मोबाइल की ब्लू लाइट से बचने के लिए सनस्क्रीन के अलावा ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल जरूरी है. इससे एजिंग काफी हद तक टल सकती है. वहीं, एजिंग के लिए कई दूसरे कारण भी जिम्मेदार होते हैं जैसे स्मोकिंग, जंक फूड खाना, एक्सरसाइज ना करना, स्ट्रेस और नींद पूरी ना लेना. इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव भी जरूरी है.
शरीर में होने लगता है ऑक्सीडेशन
हर इंसान में एक बॉडी क्लॉक है जिसे सरकेडियन रिदम कहते हैं. यह जैविक घड़ी सूरज की किरणों से शुरू होती है जो 24 घंटे चलती है. इसी हिसाब से शरीर में हार्मोन भी रिलीज होते हैं. रात के समय शरीर से मेलाटोनिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है जिससे नींद आती है. जब मोबाइल की ब्लू लाइट चेहरे पर पड़ती है तो बॉडी की सरकेडियन रिदम बिगड़ती है जिससे नींद कम आती है और मेलाटोनिन कम रिलीज होता है. इससे बॉडी में ऑक्सीडेशन ज्यादा हो जाता है जो चेहरे पर ड्राइनेस के रूप में दिखता है और चेहरा सूजा दिखता है. इससे भी एजिंग जल्दी होती है.
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FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 19:45 IST