प्रभारी प्रधानाध्यापकों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही प्रभारी प्रधानाध्यापकों को भी नियमित प्रधानाध्यापक के बराबर वेतन मिलेगा। हाईकोर्ट के चार महीने पहले दिए गए निर्देश के बाद यूपी सरकार ने सैद्धांतिक रूप से सहमत दे दी है। कोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने के निर्देश दिए हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से प्रस्ताव भी मांगा है। इससे विगत दो वर्षों से सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में कार्य कर रहे करीब 1320 प्रभारी प्रधानाध्यापकों को न्याय की उम्मीद बढ़ गई है।
अब तक माध्यमिक शिक्षा आयोग द्वारा चयनित प्रधानाचार्यों को ही उनके पद के लिए अनुमन्य वेतन दिया जा रहा है, जबकि वर्ष 2011 के बाद से आयोग की ओर से इस पद कोई नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण सेवानिवृत होने वाले प्रधानाध्यापकों की जगह पर विद्यालयों में वरिष्ठतम शिक्षक को प्रभारी प्रधानाचार्य बनाए जाने का सिलसिला जारी है।
नतीजा बिना पद के समान वेतन के उनके मूल पद का वेतन देकर कार्य कराये जाने को शिक्षक संगठनों की ओर से भी लगातार अन्याय पूर्ण बताया जा रहा है। साथ ही समान कार्य के लिए समान वेतन के सामान्य सिद्धांत के अधिकारों के भी खुले उल्लंघन की संज्ञा दी जा रही थी। संगठनों की ओर से विभागीय अधिकारियों के समक्ष भी कई बार यह मसला उठाते हुए कहा गया कि विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्यों से वे समस्त कार्य समान रूप से लिए जा रहे हैं जो एक नियमित प्रधानाध्यापक से लिए जाते हैं। इस प्रकार विभाग प्रवक्ता पद के वेतन से प्रिंसिपल पद का कार्य ले रहा है जो नैसर्गिक न्याय के सर्वथा विपरीत है।
दूसरी तरफ कुछ प्रभारी प्रधानाध्यापक इस मामले को लेकर कोर्ट चले गये। चार माह पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश माड़िया ने सौरभ पांडेय एवं 35 अन्य के मामले में आदेश पारित करते हुए सरकार को कहा कि दो माह में एरियर सहित नियमित प्रधानाध्यापक के पद का वेतन नियमानुसार भुगतान करें। कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए शासन ने अब विभाग से प्रस्ताव मांगा है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इस प्रकारण में शीघ्र कदम उठाने की मांग की है।