नासाऊः नासाऊ में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को नए भारत की ताकत का एहसास कराते कहा-“भारत अब अवसरों का इंतजार नहीं, निर्माण करता है”। उन्होंने कहा कि भारत अब सिर्फ सपने नहीं देखता, बल्कि बड़े सपनों का पीछा करता है। पीएम मोदी ने दुनिया को यह भी बताया कि भारत पूरी दुनिया की भलाई चाहता है। प्रधानमंत्री ने दुनिया पर आई तमाम विपदाओं में भारत की ओर से की गई मदद के संदर्भ में कहा कि आज विश्व में कहीं भी और किसी भी देश पर संकट आए तो भारत फर्स्ट रेस्पांडर होता है। यानि भारत सबसे पहले मदद को तत्पर होता है।
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में हमने दुनिया के 150 देशों को कोविड की वैक्सीन भेजी। कहीं भूकंप आए, बाढ़ आए या अन्य कोई आपदा आए तो हम मदद को सबसे पहले पहुंचते हैं। यही हमारे पूर्वजों का संस्कार है। अब ग्लोबल प्रोसेज को तेज करने के लिए भारत का रोल अहम होगा। बात चाहे दुनिया में शांति स्थापित करने की हो, स्किल गैप दूर करने की हो या फिर ग्लोबल इनोवेशन को नई दिशा देने की बात हो, अब हर दिशा, हर जगह भारत की भूमिका अहम होगी। मगर भारत के लिए शक्ति और समार्थ्य का अर्थ है, ज्ञानाय, दानाय च रक्षणाय।
भारत ने समान दूरी की रणनीति को समान नजदीकी में बदला
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने सबसे समान दूरी को, सबसे समान नजदीकी में बदल कर चल रहा है। अब हम सभी देशों से समान रूप से रिश्ता बनाकर चल रहे हैं। आज हम ग्लोबल साउथ की आवाज बन रहे। जी-20 में दक्षिण अफ्रीका को स्थाई सदस्यता भारत की वजह से मिली। इसीलिए आज भारत कुछ कहता है तो दुनिया सुनती है। जब पिछले दिनों हमने कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है” तो पूरी दुनिया ने उसे गंभीरता से समझा।
हम विश्व पर दबदबा नहीं चाहते, समृद्धि में सहयोगी बनना चाहते हैं
प्रधानमंत्री ने मोदी ने कहा कि भारत विश्व में सबसे युवा आबादी वाला देश है। आज भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हम 10वीं से 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। मगर हम विश्व पर अपना दबदबा नहीं चाहते, बल्कि विश्व की समृद्धि में अपना सहयोग बढ़ाना चाहते हैं। भारत इसीलिए सुपर फूड मिलेट्स, मिशन लाइफ के लिए योग, जीडीपी सेंट्रिक ग्रोथ के साथ ह्यूमन सेंट्रिक ग्रोथ को भी प्राथमिकता दे रहा है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से कहा कि यहां मिशन लाइफ को ज्यादा से ज्यादा ग्रोथ करिए। हम थोड़ा सा बदलाव लाकर पर्यावरण में मदद कर सकते हैं। इसीलिए हमने भारत में एक पेड़ मां के नाम शुरू किया है। यह अभियान पूरी दुनिया में फैल चुका है। आप भी इसे करिये।