यूपी में प्रभारी मंत्रियों की सरकारी अफसरों संग होने वाली बैठकों में भाजपा के जिला या महानगर अध्यक्ष मौजूद नहीं रहेंगे। सभी प्रभारी मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों में संगठन के नेताओं और सरकारी अफसरों के साथ अलग-अलग बैठकें करनी होंगी। सरकारी बैठकों में मंत्रियों के अगल-बगल संगठन पदाधिकारी नहीं बैठेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्देश सभी प्रभारी मंत्रियों की बैठक में दिए थे।
इस फैसले के बाद अब सरकारी समीक्षा बैठकों से जिलाध्यक्षों व संगठन पदाधिकारियों का प्रवेश रोक दिया गया है। प्रदेश सरकार ने 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के साथ ही 2027 की तैयारी भी शुरू कर दी है। उपचुनाव वाली सीटों पर मंत्रियों व संगठन के पदाधिकारियों की ड्यूटी पहले ही लगाई जा चुकी है। मंत्रिपरिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकांश मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों में बदलाव कर दिया था। सभी प्रभारी मंत्रियों को प्रभार वाले जिलों में सक्रिय रहने, वहां रात्रि प्रवास करने सहित कई निर्देश दिए गए थे।
बैठक में प्रभारी मंत्रियों को निर्देशित किया गया था कि संगठन के लोगों के साथ और सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ बैठकें करें। सरकारी योजनाओं की समीक्षा करें। कार्यकर्ताओं की सुनें। उनके जायज काम हों। इस बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह भी मौजूद थे। एक कैबिनेट मंत्री की मानें तो यह स्पष्ट किया गया है कि दोनों बैठकें अलग-अलग होंगी। सरकारी बैठक में पार्टी जिलाध्यक्ष या संगठन के पदाधिकारी मौजूद नहीं रहेंगे। उनकी कोई समस्या है तो उसे अलग से सुना जाएगा।