सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बुलडोजर एक्शन पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इसके बाद विपक्षी दल भाजपा पर हमलावर हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां तक कहा कि अब न बुलडोजर चलेगा और न उसको चालने वाले। अब दोनों की पार्किंग का समय आ गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बुलडोजर एक्शन पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इसके बाद विपक्षी दल भाजपा पर हमलावर हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां तक कहा कि अब न बुलडोजर चलेगा और न उसको चालने वाले। अब दोनों की पार्किंग का समय आ गया है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर का दुरुपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को किनारे लगा दिया है।
अखिलेश ने बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को ही नहीं बल्कि बुलडोजर का दुरुपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है। आज बुलडोज़र के पहिये खुल गये हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है। ये उनके लिए पहचान का संकट है जिन्होंने बुलडोज़र को अपना प्रतीक बना लिया था। अब न बुलडोज़र चल पायेगा, न उसको चलवानेवाले। दोनों के लिए ही पार्किंग का समय आ गया है। आज बुलडोज़री सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया है। अब क्या वो बुलडोज़र का भी नाम बदलकर उसका दुरुपयोग करेंगे? दरअसल ये जनता का सवाल नहीं, एक बड़ी आशंका है।
वहीं, लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि बलडोजर असंवैधानिक और लोगों को डराने के लिए था। बुलडोजर विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए था। यूपी में मुख्य़मंत्री और बीजेपी के लोग बुलडोजर का इतना महिमा मंडन कर रहे थे जैसे बुलडोजर ही न्याय हो गया है। इनकी रैलियों में और कार्यक्रमों में इसे ऐसे पेश किया जाता था जिससे लोगों के मन में भय पैदा हो जाए। अब जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है, बुलडोजर रुकेगा और न्यायालय से न्याय मिलेगा। बीजेपी ने बुलडोजर को न्याय का प्रतीक बना दिया था। बुलडोजर अन्याय का प्रतीक हो सकता है न्याय का प्रतीक नहीं हो सकता है।
वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भाजपा सरकारों की अन्यायपूर्ण और अमानवीय ‘बुलडोजर नीति’ को आईना दिखाने वाला माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। ऐसी बर्बर कार्रवाइयों के जरिये “देश के कानून पर बुलडोजर चलाकर” इंसानियत और इंसाफ को रौंदने वाली नीति एवं नीयत पूरे देश के सामने बेपर्दा हो चुकी है। वे समझते हैं कि ‘त्वरित न्याय’ की आड़ में जुल्म और नाइंसाफी के बुलडोजर से संविधान को कुचलकर भीड़ और भय का राज स्थापित किया जा सकता है लेकिन यह देश संविधान से चलता है और संविधान से ही चलेगा। अदालत ने साफ कर दिया है कि ‘बुलडोजर अन्याय’ स्वीकार्य नहीं है।