नई दिल्ली. भारतीय हॉकी के धुरंधर गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने अपने शानदार करियर का अंत पेरिस ओलंपिक कांस्य पदक के साथ किया. देश के लिए दशकों तक खेलना और अपने कंधों पर गोलकीपर की जिम्मेदारी निभाना आसान नहीं था. उन्होंने ना सिर्फ विरोधियों के गोल को नाकाम किया बल्कि टीम में उनके बाद आए युवाओं में भी खेलने का जोश भरा. न्यूज18 इंडिया के चौपाल पर पीआर श्रीजेश ने कहा कि अगर कोई खेल में गाली देता है तो वो गलत बात नहीं है, वो जोश भरने और कभी कभी सही राह दिखाने के लिए होता है.
भारत के लिए दो ओलंपिक मेडल जीतने वाले स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने 36 साल की उम्र में अपने शानदार करियर का अंत किया. उन्होंने टोक्यो 2020 में भारत को कांस्य पदक जीताने में अहम भूमिका निभाई थी. पेरिस 2024 में क्वार्टरफाइनल मुकाबले में 10 खिलाड़ियों से खेल रही भारतीय टीम ने ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ शूटआउट जीत में मैच अपने नाम किया. इस जीत का श्रेय पीआर श्रीजेश को जाता है जिनके सामने ब्रिटेन के खिलाड़ी गोल करने में नाकाम रहे. साल 2006 में इस धुरंधर ने हॉकी में भारत के लिए डेब्यू किया और लगभग दो दशकों तक भारत की नीली शर्ट में खेलने उतरे.
गाली देना बुरी बात नहीं है अगर…
दुनिया के महान गोलकीपर में गिने जाने वाले पीआर श्रीजेश ने न्यूज 18 इंडिया की चौपाल पर बताया कि गाली देने में बुराई नहीं है. श्रीजेश बोले, देखिए हमारे भारत में लोगों की आदत है जब तक उनको डांट नहीं लगाई जाती तब तक मौके की गंभीरता समझ नहीं आती. देखिए कई खिलाड़ी अपनी क्षमता से आगे जाकर खेल सकते हैं लेकिन उनके इसका पता नहीं होता. मैं उनको खेल के दौरान उनकी ताकत का एहसास डांट कर या गाली देकर समझाया करता था.
देखिए लोगों को ऐसा लगता है कि गाली देना बुरी बात है लेकिन मैं यहां यह साफ कर दूं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. आप मैदान में खेल के दौरान जब भी बोलिए, चाहे प्यार से या फिर गाली देकर यह हर किसी को समझ आता है कि बातें सिर्फ जीत के लिए बोली जा रही है. जब हम गुस्से से किसी को कुछ कहते हैं तब उस खिलाड़ी को समझ आता है कि मैंने गडबड़ कर दी है, अब सब सही करना होगा.
जीत हमारी नहीं पूरे देश की होती है
पीआर श्रीजेश ने आगे कहा, हम जब खेलने उतरते हैं तो हमारे उपर जिम्मेदारी होती है. जब कभी ही मैच खेलते हैं तो उसमें मिली जीत हमारी नहीं होती. कोई नहीं बोलता ही श्रीजेश जीत गया या श्रीजेश हार गया. सब यही कहते हैं भारत जीत गया या भारत हार गया. एक गोलकीपर होने के नाते जब पीछे खड़ा रहता हूं तो मुझे लगता है कि मैं एक कोच हूं.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 13:14 IST