जेल में रहते हुए मुख्तार अंसारी की मौत के कारण जानने को लेकर चल रही मजिस्ट्रेट की जांच अब पूरी हो गई है। जांच में माफिया की मौत का कारण हार्ट अटैक पाया गया है। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मार्च में मौत हो गई थी। परिवार वालों ने जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। इसके लिए मजिस्ट्रेट की जांच बैठाई गई, जो अब पूरी हो चुकी है। जांच में माफिया मुख्तार अंसारी की मौत जहर से नहीं होना पाया गया। मुख्तार की मौत उल्टी, उसके द्वारा उस दिन खाए गए गुड़, चने और नमक में भी जहर नहीं मिला। रिपोर्ट में मौत मायोकॉर्डियल इन्फॉर्क्शन (हार्ट अटैक) की वजह से होना पाया गया है। मजिस्ट्रेटी जांच में इसकी तस्दीक हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीएम ने यह रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
बांदा मंडल कारागार की तन्हाई बैरक में 28 मार्च की शाम गश खाकर गिरा मुख्तार अंसारी दोबारा नहीं उठ सका था। रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में देर शाम मौत की पुष्टि के बाद दूसरे दिन एसपीजीआई लखनऊ से आए डॉ. सत्येंद्र कुमार तिवारी सहित पांच डॉक्टरों के पैनल ने वीडियोग्राफी में पोस्टमार्टम किया था। इसमें मायोकार्डियल इन्फार्क्शन से मौत की पुष्टि की गई थी। पोस्टमार्टम से पहले पंचनामा में मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने लिखा था कि पिता की मौत स्वाभाविक नहीं है। उसके नाक-कान से खून निकल रहा है। उसके संदेह जताने पर अलग-अलग न्यायिक और मजिस्ट्रेटी जांच कमेटी गठित की गई थीं।
मजिस्ट्रेटी जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार ने की। सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी। इसका निष्कर्ष है कि मुख्तार जहर नहीं हार्ट अटैक से मरा। 28 मार्च की शाम गश खाकर गिरने से पहले मुख्तार को उल्टी हुई थी। बैरक से लिए गए उल्टी के नमूने के साथ ही वहां मौजूद गुड़, चना और नमक की भी जांच कराई गई। जांच विष विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ में हुई। बैरक से लिए गए किसी भी नमूने में विष नहीं मिला है। मुख्तार अंसारी का विसरा और दिल भी लखनऊ स्थित प्रयोगशाला भेजा गया था। विसरा रिपोर्ट में भी जहर की पुष्टि नहीं हुई है।
100 से ज्यादा लोगों के लिए बयान
मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश मुख्तार अंसारी के शव के पोस्टमार्टम के दिन 29 मार्च को तत्कालीन डीएम दुर्गाशक्ति नागपाल ने दिए थे। जांच में मुख्तार की बैरक के सुरक्षा कर्मियों, इलाज और पोस्टमार्टम करनेवाले डॉक्टर, जेल अफसरों सहित 100 से अधिक लोगों के बयान लिए गए। मुख्तार की मौत के दिन से 90 दिन पहले तक के सीसीटीवी फुटेज भी देेखे गए। जांच में पांच माह का समय लगा।