जन्माष्टमी पर ताजनगरी के लोगों ने जिस कुट्टू के आटे का सेवन किया था उसमें चूहे का मल-मूत्र और कीड़ों को पीस दिया गया था। इसके साथ ही कुछ दुकानदारों ने स्टार्च की भी मिलावट इस आटे में की थी। एफएसडीए की ओर से जन्माष्टमी पर लिए गए नमूनों की रविवार को आई रिपोर्ट में यह बात साफ हुई है। शनिवार को मथुरा के सैंपलों से भी ऐसी ही रिपोर्ट मिली थी।
बीते महीने जन्माष्टमी पर शहर से लेकर देहात के अलग-अलग क्षेत्रों में कुट्टू के आटे का सेवन करने से 250 से अधिक लोग बीमार हो गए थे। अधिकांश लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुट्टू के आटे से सैकड़ों लोगों की तबीयत बिगड़ने के बाद हरकत में आए एफएसडीए ने एक दर्जन कुट्टू के आटे के नमूने लिए थे। रविवार को छह सैंपल की रिपोर्ट आ गई। जिन नमूनों की रिपोर्ट आई वह सभी असुरक्षित (फेल) निकले। रिपोर्ट आने के बाद अब एफएसडीए ने ये बेचने वाली फर्म/दुकानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। सहायक आयुक्त खाद्य (द्वितीय) शशांक त्रिपाठी ने बताया कि मुकदमे के साथ-साथ कुट्टू का आटा बनाने वाली एक फैक्ट्री का लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
इन प्रतिष्ठान से लिए नमूने निकले फेल
एफएसडीए की ओर से सार्थक अग्रवाल की दरेसी नं.-2 स्थित दुकान से लिए कुट्टू के आटे, टेड़ी बगिया स्थित कृपाशंकर के विनोद प्राविजन स्टोर से लिए नमूने और किशोरपुरा, जगदीशपुर स्थित मां कालिका प्रोविजन स्टोर से लिए नमूने में चूहे के मल-मूत्र के अंश मिले हैं। फुलट्टी बाजार स्थित अंकित वार्ष्णेय की दुकान से लिए कुट्टू के आटे के नमूने में जिंदा व मरे कीड़े के अंश, टेड़ी बगिया, जलेसर रोड रामप्रकाश की सोम पंसारी किराना स्टोर से लिए नमूने में स्टार्च। कृष्णा नगर स्थित बंसल गृह उद्योग से लिए नमूने में मरे व जिंदा कीड़ों को आटे के साथ पीसकर बेचने का मामला बना है।
इससे हो सकती हैं गंभीर बीमारियां
चूहे के मल-मूत्र की खाद्य पदार्थ में मिलावट से गंभीर बीमारियां हो सकती है। चूहों के मल-मूत्र में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस होते हैं। ये खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने पर उन्हें दूषित कर सकते हैं। इससे फूड पॉइजनिंग, लेप्टोस्पायरोसिस और हंटावायरस जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
आरोपियों पर धारा 59 के तहत चलेगा मुकदमा
शशांक त्रिपाठी ने बताया कि जिन प्रतिष्ठान/फैक्ट्री के नमूने फेल मिले हैं उनके खिलाफ खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत एसीजेएम प्रथम की अदालत में मुकदमा दायर किया जाएगा। वहां सभी के खिलाफ साक्ष्य व जांच रिपोर्ट के आधार पर मुकदमा चलेगा। धारा 59 के तहत दोषी पाए जाने पर छह माह की सजा व एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगता है।