इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले वकील से संपर्क किए बगैर उसके बारे में झूठा हलफनामा देकर दूसरा वकील करने को गंभीरता से लिया है और इसके लिए तीनों लोगों पर दो-दो लाख रुपये हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने मोहम्मद परवेज व दो अन्य की याचिका पर दिया है।
इलाहाबाद कोर्ट ने नए अधिवक्ता अरुण कुमार सिंह को आदेश की कॉपी याचियों को चार सप्ताह में हर्जाना राशि हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा करने के लिए भेजने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि हर्जाना जमा न करने पर जरूरी कानूनी कार्यवाही की जाए। याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता श्याम सुंदर त्रिपाठी ने कहा कि याची ने उनसे संपर्क नहीं किया, न ही फाइल वापस मांगी और न ही अनापत्ति मांगी, इसलिए दूसरे वकील द्वारा दाखिल याची के हलफनामे के झूठे आरोप पर आपत्ति है। नए वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं और पुराने वकील काफी वरिष्ठ हैं। उनकी बात में सच्चाई लग रही है। कोर्ट ने कहा कि याचियों का आचरण सदाशयता पूर्ण नहीं है। उन्होंने गलत बयानी कर हलफनामा दाखिल किया है। इसलिए हर्जाना लगाया जाता है।
कोऑपरेटिव समितियों में भर्ती हुए 90 कर्मियों को भी हाईकोर्ट से लगा बड़ा झटका
सहारनपुर में पिछले साल नवंबर-दिसंबर महीने में कोऑपरेटिव में कामकाज चलाने के लिए अस्थाई तौर पर नियुक्त कर्मियों को हाईकोर्ट से भी झटका लगा है। 46 समितियों में भर्ती 90 नवनियुक्त कर्मियों को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। जिससे एआर का आदेश यथावथ रहेगा। यानी कर्मचारी न हाजिरी लगा सकेंगे और न हीं उन्हों कोई वेतन मिलेगा।
कोऑपरेटिव भर्ती घोटाले में सभी नवनियुक्त कर्मियों को अब हाईकोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। 46 समितियों में भर्ती 90 नवनियुक्त कर्मियों को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है, जिससे एआर का आदेश यथावत लागू रहेगा। यानी ये कर्मचारी न तो हाजिरी लगा सकेंगे और न ही इन्हें कोई वेतन मिलेगा। एक तरह से देखा जाए तो इन सभी कर्मचारियों को समितियों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस पर शासन मामले को गंभीर मानते हुए जांच कराई और पूर्व एआर एसएन मिश्रा, 4 एडीसीओ और 4 एडीओ को निलंबित कर दिया था।