झांसी: इन दिनों सोशल मीडिया पर “ग्राउंडिंग” या “अर्थिंग” का नाम सुनने को खूब मिल रहा है, जिसे स्वास्थ्य और ऊर्जा से जुड़े फायदों के लिए बताया जाता है. ग्राउंडिंग” या “अर्थिंग” को लेकर लोगों में सही और गलत को लेकर बहस छिड़ी हुई है. कोई इसे पारंपरिक प्रक्रिया होने की बात कहता है तो कोई अवैज्ञानिकता का प्रमाण. आखिर यह “ग्राउंडिंग” क्या है? और क्या सच में इससे शरीर को इलेक्ट्रिक एनर्जी मिलती है? इस रहस्यमयी अवधारणा पर फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र सिंह ने विस्तार से जानकारी दी है.
डॉ. सत्येंद्र सिंह ने बताया कि ग्राउंडिंग या अर्थिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति अपने शरीर को सीधे धरती से जोड़ता है. इसका मतलब है कि व्यक्ति नंगे पैर घास, मिट्टी, रेत, या कंकड़ पर चलता है या फिर धरती के संपर्क में बैठता है. यह प्रक्रिया इस विचार पर आधारित है कि धरती की सतह में नकारात्मक चार्ज इलेक्ट्रॉन्स होते हैं, जो शरीर के फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करने में मदद करते हैं.
कैसे काम करती है ग्राउंडिंग?
डॉ. सत्येंद्र सिंह ने बताया कि ग्राउंडिंग का सिद्धांत यह है कि जब हम सीधे धरती के संपर्क में आते हैं, तो हमारे शरीर के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में संतुलन आता है. धरती की सतह में प्राकृतिक रूप से इलेक्ट्रॉन्स होते हैं, और जब हम इसके संपर्क में आते हैं, तो यह इलेक्ट्रॉन्स हमारे शरीर के फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय कर सकते हैं, जिससे सूजन कम होती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है.
क्या सच में मिलती है इलेक्ट्रिक एनर्जी?
डॉ. सत्येंद्र सिंह के अनुसार, “ग्राउंडिंग से शरीर को सीधे तौर पर कोई इलेक्ट्रिक एनर्जी नहीं मिलती, जैसा कि उपकरणों में होता है, लेकिन यह जरूर है कि धरती से जुड़े रहने पर शरीर में मौजूद इलेक्ट्रिकल चार्ज का संतुलन बनता है, जिससे मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है. यह प्रक्रिया शरीर में प्राकृतिक ऊर्जा प्रवाह को बढ़ाने में सहायक हो सकती है.
क्या है ग्राउंडिंग के फायदे?
डॉ. सत्येंद्र सिंह के अनुसार ग्राउंडिंग के कई संभावित फायदे बताए जाते हैं. नियमित रूप से ग्राउंडिंग करने से मानसिक तनाव और चिंता में कमी आती है. नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है. ग्राउंडिंग के दौरान शरीर में इलेक्ट्रॉन्स का प्रवाह सूजन को कम कर सकता है. शरीर में प्राकृतिक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे थकान और उदासी कम हो सकती है. विज्ञान ने ग्राउंडिंग पर कुछ अध्ययनों के माध्यम से ध्यान दिया है. कुछ शोधों में पाया गया है कि ग्राउंडिंग करने से शरीर में सूजन कम हो सकती है और नींद में सुधार हो सकता है. हालांकि, इन शोधों के परिणामों पर अभी और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है ताकि इसकी वैज्ञानिक पुष्टि हो सके.
सीमित है इस प्रक्रिया के वैज्ञानिक साक्ष्य
डॉ. सिंह का कहना है, “ग्राउंडिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हमें धरती से जोड़ती है. भले ही इसे लेकर वैज्ञानिक साक्ष्य सीमित हैं, लेकिन इसे अपनाने में कोई हानि नहीं है. यह प्रक्रिया हमें प्रकृति के करीब लाने और मानसिक शांति देने में मददगार हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 18:20 IST
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