यूपी के जनपद अम्बेडकरनगर जनपद का पड़ोसी जिला सुलतानपुर है। दोनों जिले की सीमा का विभाजन मझुई (मंजूषा) नदी करती है। अम्बेडकरनगर जनपद की दक्षिणी सीमा पर मझुई नदी पर बना पुल दोनों जिलों को जोड़ता है।
पुल मुगलों के शासन काल में बना था। लखावरी (लखौरी) ईंट से निर्मित यह पुल अद्भुत कला और तत्कालीन मुगल शासन की यादों को समेटे हुए है। इसकी कुछ विशेषताएं आज भी अचरज और कौतुक का विषय है। मसलन पुल के दोनों तरफ आठ कोठरियां बनी हैं। कुल 16 कोठरियां हैं जहां पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हैं। कोठरियों में मुगल शासन काल में ही नहीं, बल्कि अग्रेजों के शासन काल में राहगीर निवास करते थे। विशेष तौर पर राहगीरों का कोठरियों में प्रवास वर्षा काल में होता था, जबकि तीर्थ यात्री हर सीजन में प्रवास करते थे। मुगल काल का यह पुल समय के साथ जर्जर हो गया है। सालों पहले सम्पर्क दीवार तक टूट गई। फिलहाल मौके पर पुल जर्जर अवस्था में है। अब केवल हल्के भारी वाहनों का ही प्रवेश होता है। बड़े भारी माल वाहनों का पुल गुजरना प्रतिबंधित है।
लगा है अरबी भाषा का शिलापट
अम्बेडकरनगर और सुलतानपुर जिले को जोड़ने वाले पुल के बीच सफेद संगमरमर का एक शिलापट लगा है। जानकर बताते हैं शिलापट पर अरबी भाषा में लिखा है कि इस पुल की मरम्मत औरंगजेब ने करवाई थी। पुल की लखौरी ईंटों को विशेष प्रकार के मसाले से जोड़ा गया है।
दूसरी मरम्मत तालुकेदार ने कराई
मझुई नदी का सैकड़ो वर्ष पुराने इस पुल में ईंटों के साथ चूना और सुर्खी का प्रयोग किया गया था। पुल पर लगे शिलालेख के मुताबिक पुल की एक बार मरम्मत मुगल तालुकेदार अली आगा खान ने 1217 हिजरी में कराई थी। तब से मरम्मत के अभाव में पुल कमजोर होता गया। अप्रोच दीवार से सटकर घरों और दुकानों का निर्माण करा लिए जाने की वजह से पुल जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। इसके साथ कई साल पहले अप्रोच वाल के ढहने का एक और कारण पानी की निकासी का बाधित होना बताया जाता है।
शाहजहां ने बनवाया था पुल
माना जाता है कि मझुई नदी पर बना पुल शाहजहां ने बनवाया था। शाहजहां काल में पुल के निर्माण को पुख्ता तौर पर तस्दीक तो नहीं होती, लेकिन जानकार बताते हैं कि शाहजहां काल से लेकर 20वीं सदी के आरंभ तक लखौरी ईंटों का ही प्रयोग होता था। लखौरी ईट पतली सपाट लाल रंग की पकी मिट्टी की ईंटें होती थी, जो मुगल काल के दौरान बहुत लोकप्रिय थी। इनका उपयोग भवन निर्माण में, विशेष रूप से मुगल वास्तुकला में किया जाता था।