इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक केस को लेकर कहा कि पोकर और रम्मी जुआ नहीं, बल्कि स्किल के खेल हैं। मनोरंजक गेमिंग गतिविधियों को खेलने की अनुमति देने से इनकार करने के लिए अधिकारी को ठोस तथ्य रिकॉर्ड पर लाने चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो अधिकारी कानून के तहत जरूरी कार्रवाई कर सकते हैं। यह फैसला डीएम गेमिंग प्राइवेट लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के मामले में जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस मंजीव शुक्ला की बेंच द्वारा सुनाया गया।
क्या था मामला?
लॉ ट्रेंड में छपी खबर के मुताबिक, कोर्ट के सामने मुद्दा रखा गया कि क्या पोकर और रम्मी को जुआ गतिविधियों के रूप में बांटा जा सकता है या स्किल के खेल के रूप में मान्यता दी जा सकती है। याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील कि दोनों खेलों में स्किल की एक महत्वपूर्ण डिग्री शामिल है, उन्होंने आंध्र प्रदेश राज्य बनाम के.एस. सत्यनारायण और मद्रास हाईकोर्ट द्वारा जंगल गेम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम तमिलनाडु राज्य में निर्धारित मिसालों का हवाला दिया।
याचिकाकर्ता ने रखी अपनी बात
याचिकाकर्ता ने कहा कि डीसीपी द्वारा अनुमति देने से इनकार करना केवल “अनुमानों और अटकलों” पर आधारित है कि इस तरह के खेलों की अनुमति देने से शांति और सद्भाव में बाधा उत्पन्न हो सकती है या जुआ खेलने को बढ़ावा मिल सकता है। याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि इस तरह की धारणाएँ अनुमति देने से इनकार करने के लिए वैध कानूनी आधार नहीं बनाती हैं।
नहीं करना चाहिए अनुमति से इनकार
जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस मंजीव शुक्ला की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों को इस मुद्दे की गहन जांच करनी चाहिए और केवल अनुमान के आधार पर अनुमति देने से इनकार नहीं करना चाहिए। अपने फैसले में न्यायालय ने कहा, “केवल संबंधित अधिकारी की दूरदर्शिता के आधार पर अनुमति देने से इनकार करना ऐसा आधार नहीं हो सकता जिसे बनाए रखा जा सके। मनोरंजक गेमिंग गतिविधियों को करने की अनुमति देने से इनकार करने के लिए अधिकारी द्वारा ठोस तथ्य रिकॉर्ड पर लाने की जरूरत होती है।”
कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया कि पोकर और रम्मी खेलने वाली गेमिंग यूनिट चलाने की अनुमति देने से अधिकारियों को अवैध जुआ गतिविधियों के लिए परिसर की निगरानी करने से नहीं रोका जा सकता है। बेंच ने कहा, “अनुमति दिए जाने से संबंधित प्राधिकारियों को किसी विशेष स्थान पर होने वाले जुए के पहलू की जांच करने से नहीं रोका जा सकेगा, और यदि ऐसा होता है, तो प्राधिकारियों द्वारा कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई हमेशा की जा सकती है।”
6 सप्ताह के भीतर आदेश देने को कहा
हाईकोर्ट ने संबंधित प्राधिकरण को स्किल बेस्ड खेलों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट के निर्णयों पर विचार करते हुए मामले पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि प्राधिकरण निर्णय की तारीख से 6 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देने के बाद एक तर्कसंगत आदेश जारी करें।
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