भारतीय धाविका दीप्ति जीवनजी ने मंगलवार (3 सितंबर) को पेरिस पैरालंपिक 2024 में कमाल कर दिया। उन्होंने एथलेटिक्स की महिला 400 मीटर टी20 स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया। उन्होंने फाइनल में 55.82 सेकेंड का समय निकाला और तीसरे स्थान पर रहीं। यह भारत का आज का पहला मेडल है। भारत की झोली में 16वां मेडल आया है। भारत ने सोमवार को आठ मेडल जीते थे लेकिन अगले दिन लंबे समय तक मेडल का सन्नाटा रहा। टी20 श्रेणी बौद्धिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों के लिए है।
दीप्ति ने 0.164 सेकंड के समय के साथ शानदार शुरुआत की लेकिन मोमेंटम बरकरार नहीं रख पाईं। उन्होंने अंतिम समय में फर्राटा भरते हुए सिल्वर की ओर बढ़ने का प्रयास किया। हालांकि, तुर्की की विश्व रिकॉर्ड धारक आयसेल ओन्डर पीछे से आकर दीप्ति से आगे निकल गईं। ऐसे में दीप्ति को कांस्य से ही संतोष करना पड़ा। यूक्रेन की यूलिया शुलियार (55.16) ने गोल्ड और ओन्डर (55.23) ने सिल्वर जीता। पैरा एशियाई गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली दीप्ति सिर्फ शुलियार से 0.66 सेकंड पीछे रहीं।
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दीप्ति ने सोमवार देर रात हुए मुकाबले में अपनी हीट में 55.45 सेकंड के समय के साथ पहला स्थान हासिल करते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। 27 सितंबर, 2003 को तेलंगाना के वारंगल जिले के कल्लेडा गांव में जन्मीं दीप्ति ने पैरा-स्पोर्ट्स की दुनिया में उल्लेखनीय प्रभाव डाला है। गरीबी सहित कई चुनौतियों का सामना करने वाली दीप्ति अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
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दीप्ति के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे, जिन्हें गुजारा करने लिए अपनी आधा एकड़ कृषि भूमि तक बेचनी पड़ी। दीप्ति की बौद्धिक दुर्बलता का शुरू में काफी उपहास उड़ाया गया था। कुछ लोगों ने तो उन्हें अनाथालय भेजने का सुझाव भी दिया था। हालांकि, दीप्ति के माता-पिता हमेशा साथ खड़े रहे और अपनी बेटी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बता दें कि दीप्ति ने पैरालंपिक डेब्यू में मेडल जीतने का कारनामा अंजाम दिया है।