निषात कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर भारत की झोली में 7वां मेडल डाला है। इस एथलीट ने हाई जंप टी47 के इवेंट में लगातार दूसरी बार सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया। पेरिस से पहले वह टोक्यो पैरालंपिक में भी इसी इवेंट में सिल्वर मेडल जीते थे। निषाद ने 2.04 मीटर की सीजन की सर्वश्रेष्ठ छलांग लगाई और यूएसए के रोडरिक टाउनसेंड से पीछे रहे, जिन्होंने गोल्ड पर कब्जा जमाया। बता दें, रोडरिक टोक्यो में भी गोल्ड मेडल जीते थे।
प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में फिर किया कमाल, जीता दूसरा ब्रॉन्ज मेडल
निषाद कुमार ने हाई जंप टी47 इवेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए 11 खिलाड़ियों के बीच दबदबा बनाया। हालांकि, टाउनसेंड ने 2.12 मीटर का मार्क पार करते हुए सीजन का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और स्वर्ण पदक जीता। निषाद 2.08 मीटर पार करने के तीसरे प्रयास में असफल होने के बाद निराश दिखे। हालांकि, टाउनसेंड उनके पास पहुंचे और गले मिले, जिसके बाद दोनों खिलाड़ियों के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
रोडरिक टाउनसेंड और निषाद कुमार के अलावा तटस्थ पैरालंपिक एथलीटों का प्रतिनिधित्व करने वाले जॉर्जी मार्गिएव ने 2 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया।
इस बीच, एक अन्य भारतीय हाई जंपर राम पाल 1.95 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ सातवें स्थान पर रहे।
सुहास यथिराज ने सुकांत कदम को हराकर फाइनल में बनाई जगह, पदक किया पक्का
निषाद के पदक के साथ भारत अब तक एथलेटिक्स में तीन पदक जीत चुका है। इससे पहले पेरिस में प्रीति पाल ने महिलाओं के टी35 वर्ग की 100 और 200 मीटर इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। बता दें, टोक्यो में भारत ने ट्रैक एंड फील्ड में 8 पदक जीते थे।
निषाद कुमार की कहानी
6 साल की उम्र में निषाद को एक गंभीर दुर्घटना का सामना करना पड़ा जब उनके परिवार के खेत पर घास काटने वाली मशीन से उनका दाहिना हाथ कट गया। इस झटके के बावजूद, उन्हें खेलों में खासकर एथलेटिक्स में सांत्वना मिली, जिसके लिए उनकी मां जो एक राज्य स्तरीय वॉलीबॉल खिलाड़ी और डिस्कस थ्रोअर हैं उन्होंने उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने 2009 में पैरा-एथलेटिक्स में कदम रखा और तब से वे इस खेल में एक ताकत बन गए हैं।