Test determine 30 years Heart attack: हार्ट डिजीज ऐसी बीमारी है जिसके बारे में पहले से पता लगाना बहुत मुश्किल है. यही कारण है कि हर हार्ट डिजीज के हर साल करोड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2019 में 1.79 करोड़ लोगों की मौत हार्ट से जुड़ी बीमारियों के कारण हो गई. पर अब एक अध्ययन के बाद संभावित हार्ट डिजीज के बारे में पुख्ता जानकारी मिल सकती है. इस अध्ययन में महिलाओं के 30 साल के हेल्थ पर बारीक नजर रखी गई और उसके बाद पाया गया कि जिन महिलाओं में खून में कुछ चीजों की मात्रा ज्यादा हो जाती है उनमें अगले 30 सालों तक हार्ट डिजीज के संकेत मिल सकते हैं.
10 साल से अधिक का अनुमान
टीओआई की खबर के मुताबिक अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने बताया है कि हाई सेंसिटिविटी सी रिएक्टिव प्रोटीन (hs CRP), लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन (LDL) कोलेस्ट्रॉल और लाइपोप्रोटीन के लेवल की मॉनिटरिंग कर अगले 5 साल और 10 साल तक हार्ट पर आने वाले संकटों का अंदाजा लगाया जा सकता है. इन जांच के आधार पर डॉक्टर समय पर ऐसे व्यक्तियों को हार्ट अटैक से बचा सकेंगे जिन्हें जोखिम ज्यादा है. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 27 हजार महिलाओं में सीआरपी, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और लाइपोप्रोटीन के लेवल को मापा और इस लेवल को लगातार 30 साल तक मॉनिटरिंग की. इन महिलाओं की मध्यम आयु 54.7 साल थीं. इन 30 सालों के दौरान 3662 महिलाओं को पहली बार में बड़ा हार्ट अटैक आया. शोधकर्ताओं ने बताया कि इस डाटा के आधार पर किसी व्यक्ति में हार्ट डिजीज के जोखिमों को 10 साल से अधिक तक के संकेतों को भांपा जा सकता है. इससे डॉक्टर उस व्यक्ति को हार्ट डिजीज के खतरों से बचाने के लिए बेहतर रणनीति अपना सकता है.
सी रिएक्टिव प्रोटीन सबसे बड़ा विलेन
हाई सेंसिटिविटी सी रिएक्टिव प्रोटीन से इंफ्लामेशन को भांपा जा सकता है. यानी अगर किसी के खून में सीआरपी ज्यादा है तो इसका मतलब है कि भविष्य में ऐसे व्यक्तियों के हार्ट पर इंफ्लामेशन का असर हो सकता है. सी रिएक्टिव प्रोटीन एक तरह से विलेन का काम करता है. इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. जब इंफ्लामेशन होता है तो खून की धमनियों में प्लैक के जमा होने से धमनियों के सिकुड़ने या उसमें कड़ापन होने का खतरा होता है. इसी तरह अगर किसी का बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है तो इसका मतलब है कि आर्टरी में रूकावट आ सकती है और यह अगली पीढ़ी में बढ़ सकता है. इन चीजों से 10 साल के बाद के जोखिमों के बारे में भी बताया जा सकता है. ऐसे में बैड कोलेस्ट्रॉल का नियमित जांच करने से पता लगाया जा सकता है धमनियों में कितना प्लैक जमा हो चुका है. अगर यह खून के बहाव को बंद कर सकने की क्षमता रखता है तो पहले ही इसे हटाने का प्रबंध किया जा सकता है.
तीन गुना ज्यादा जोखिम
अगर सी रिएक्टिव प्रोटीन, लाइपोप्रोटीन और बैड कोलेस्ट्रॉल तीनों बढ़ा हुआ है तो कोरोनरी हार्ट डिजीज का जोखिम तीन गुना से भी ज्यादा रहता है. इससे कभी भी हार्ट अटैक, स्ट्रोक या कार्डिएक अरेस्ट का जोखिम रहता है. हालांकि इस अध्ययन में सिर्फ महिलाओं को शामिल किया गया था लेकिन पुरुषों पर भी कमोबेश यही चीज लागू होती है. नेशनल हार्ट लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के प्रोग्राम डायरेक्टर अहमद एके हसन ने बताया कि हालिया वर्षों में हमने देखा है कि इंफ्लामेशन जब बढ़ने लगता है तब इसका लिपिड के साथ खतरनाक गठजोड़ बन जाता है.
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FIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 11:48 IST