बसपा प्रमुख मायावती ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण के वर्गीकरण और ‘क्रीमीलेयर’ के मुद्दे को इन वर्ग के लोगों को बांटने वाला करार दिया है। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर मायावती ने शनिवार को एक पोस्ट में लिखा, ‘एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण और क्रीमीलेयर का मुद्दा इन वर्गों को बांटने वाला है, जबकि बसपा का मानवतावादी आंदोलन जाति के आधार पर सदियों से सताए गए इन लोगों को जोड़कर ‘बहुजन समाज’ बनाने का है जिससे कोई समझौता संभव नहीं है। पार्टी इस मुद्दे को लेकर अति गंभीर है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने पोस्ट में कहा, ‘इसको लेकर कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय से पहले से ही एससी-एसटी को बांटने की राजनीति की जा रही है जो ठीक नहीं है। खासकर यहां की कांग्रेस सरकारों का रवैया इस मामले में अति निंदनीय है।’ मायावती ने इसमें कहा, ‘बसपा में रहते हुए जो लोग एससी-एसटी के वर्गीकरण एवं क्रीमीलेयर का कांग्रेस की तरह पक्षधर होकर बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की मिशनरी सोच नहीं रखते हैं, उनका बसपा में कोई स्थान नहीं है। अर्थात एक के स्वार्थ में बाकी पूरे बहुजन समाज के हित की उपेक्षा करना ठीक नहीं है।
बसपा प्रमुख ने इसमें यह भी कहा है कि ऐसी मानसिकता के लोग यदि पार्टी छोड़कर खुद ही चले जाते हैं या उन्हें अलग कर दिया जाता है, तो यह बसपा पार्टी और इसके आंदोलन के हित में उचित होगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण के वर्गीकरण और क्रीमीलेयर की आड़ में अब कांग्रेस के ‘इंडिया’ गठबंधन की ‘फूट डालो, राज करो’ की रणनीति नहीं चलेगी, लेकिन लोगों को सजग रहना चाहिए।