Unified Pension Scheme in Uttar Pradesh: भारत सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मियों के लिए घोषित यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को उत्तर प्रदेश के कार्मिकों के लिए भी लागू किए जाने पर मंथन तेज हो गया है। यूपीएस का प्रस्ताव तैयार करने और इससे सरकार पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय भार तथा अन्य आंकड़ों पर शुक्रवार को देर शाम तक वित्त विभाग के अधिकारी मंथन में जुटे रहे। वहीं क्लास टू और इससे ऊपर के आफिसर जिनकी सेवा अवधि 15 से 20 साल हो चुकी है, उन्हें यूपीएस रास नहीं आ रहा है। ृ
यूपीएस पर केंद्र सरकार की गाइड लाइन आने के साथ ही अधिकारी गाइड लाइन के हर बिंदू पर मंथन करते नजर आए। सचिवालय में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों के लिए यूपीएस नुकसानदायक है। जिनको यूपी सरकार की सेवा में काम करते हुए 15 से 20 साल तक हो चुके हैं, एनपीएस में रहते हुए उनके फंड में कम से कम 50 लाख रुपये जमा हो चुके होंगे। यदि ये अधिकारी यूपीएस का विकल्प चुनते हैं तो यह फंड शून्य हो जाएगा, जो बड़ा नुकसान है। एनपीएस का सबसे आकर्षक पहलू एकमुश्त फंड है जो सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारियों को एकमुश्त बड़ी धनराशि देता है। यूपीएस में यह नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि कार्मिकों के सामने एनपीएस में रहने अथवा यूपीएस में जाने का विकल्प खुला रहेगा। राज्य सरकार जब भी यूपीएस की घोषणा करेगी एनपीएस में रहने का विकल्प भी खुला रखेगी। यूपीएस का सबसे कमजोर पक्ष 25 साल की क्वालिफाइंग सेवा है। इसके कम की सेवा पर पेंशन राशि न्यूनतम रह जाएगी। बताया जाता है कि शुक्रवार की शाम को वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर यूपीएस के कारण राज्य सरकार पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय भार तथा अन्य बिंदुओं पर चर्चा की। बताया जाता है कि वित्त विभाग द्वारा सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार करने के बाद सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा। जिसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा यूपीएस लागू किए जाने पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।