सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल, ढाबा, फल और खान-पान की दुकानों में मालिक का नाम लिखने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है और कांवड़िया देश भर में गंगा समेत अन्य नदियों से कलश में जल लेकर भगवान शंकर के मंदिर में जलाभिषेक कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पूरे यूपी में कांवड़ रूट पर दुकान मालिकों के नेम प्लेट लगाने के आदेश के खिलाफ अलग-अलग तीन याचिकाएं दायर हुई थीं जिसे जस्टिस जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवी भट्टी की बेंच ने सुना। इस दौरान जस्टिस भट्टी ने एक मजेदार प्रसंग सुनाया जो उनसे ही जुड़ा है।
जस्टिस एसवी भट्टी सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। केरल के कार्यकाल के जिक्र करते हुए जस्टिस भट्टी ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिना शहर का नाम लिए वो कुछ बताना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि वहां दो वेज होटल थे, एक हिन्दू चलाता था और दूसरा मुसलमान। वो हमेशा मुसलमान के वेज होटल में जाते थे। वहां इंटरनेशनल स्तर की साफ-सफाई थी। उस होटल का मालिक दुबई से लौटा था और वहां का हाइजीन स्टैंडर्ड अच्छा था। वो बोर्ड पर सब कुछ दिखाता था।
जस्टिस भट्टी ने कोर्ट में ये बातें तब बताई जब तीन याचिकाकर्ताओं में एक टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बेंच के दूसरे जज जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बातों का हवाला देते हुए कहा कि आपने सही संवैधानिक सवाल उठाए हैं। जस्टिस रॉय ने सुनवाई के दौरान पूछा था कि कांवड़िया क्या चाहते हैं? क्या वो ये चाहते हैं कि उन्हें खाने का सामान पकाने वाला, परोसने वाला और उसे उपजाने वाला एक खास समुदाय का हो?
इसी मौके पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि कांवड़ा यात्रा कल नहीं शुरू हुई है बल्कि आजादी से भी पहले से चली आ रही है। आप इसे कितना पीछे ले जाना चाहते हैं। कुछ लोग खाने में प्याज और लहसुन नहीं चाहते हैं। इस पर जस्टिस भट्टी ने केरल के किसी शहर के हिन्दू और मुस्लिम शाकाहारी होटल की कहानी सुनाई जिसमें वो खुद मुसलमान वाले होटल में जाते थे।