चोपन (मनोज चौबे)
चोपन। मध्यप्रदेश में भारी बरसात के चलते सोन रेणु एवं बिजूल नदी का जलस्तर शनिवार से बढ़ना शुरू हो गया जो रविवार को विकराल रूप धारण कर लिया।आलम यह रहा कि सोन नदी का जलस्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों में चिंता देखने को मिली तो वहीं दूसरी ओर फसलों को भी काफी नुकसान हुआ।सोन नदी के तटीय क्षेत्रों के दर्जनों गांवों में नदी के किनारे लगे फसलें तील, अरहर, सावां, मक्का आदि प्रभावित हुई जिसमें सेमिया, घोरिया, कुरछा, चतरवार, चौरा बिजौरा, अलऊर, गुरदह, गोठानी, महलपूर इत्यादि गाँवो के साथ ही नक्सल प्रभावित ग्राम सभा कनछ कन्हौरा में अपने शबाब पर पहुंच चुके। मक्के के फसल में बाढ़ का पानी घुस जाने से फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया।वही नंद लाल गिरी, बद्री पूरी, त्रिपूरारी कुशवाहा, सत्येंद्र कुशवाहा, विनय चौधरी, मुन्ना यादव, हरि आदि किसानों की फसलें चौपट हो गई।बताया गया कि जहां तील, अरहर की फसल तो बर्बाद हुई ही वहीं मक्के का फसल लगभग तैयार होने के कगार पर था।किसान सोच रहे थे कि मौजूदा समय में मक्के का बाजार में अच्छा रेट मिल रहा है कुछ फायदा हो जायेगा किन्तु अब चुंकि बाढ़ का पानी खेतों में घुस गया है जिसके बाद फसल बर्बाद हो गया।वहीं अपना दल एस के जिला महासचिव श्यामाचरण गिरी उर्फ बबलू ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए सोननदी में आई बाढ़ से तटीय क्षेत्रों के किसानों को काफी नुकसान हुआ है।उन्होंने मांग किया कि समय रहते बर्बाद हुई फसलों का स्थलीय सत्यापन कराकर किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए ताकि किसानों को कुछ हद तक राहत मिल सके।