म्योरपुर (प्रभात मिश्रा)
– साल भर अध्ययन के बाद बेहतर कीटनाशक से होगा मलेरिया के कीटाणुओं का सफाया
म्योरपुर। आईसीएमआर के साथ सदस्यों की टीम शनिवार को तीसरे दिन भी अपने अध्ययन में लगी रही।इस दौरान उन्होंने म्योरपुर विकास खंड की पाटी ग्राम पंचायत में लोगों का सैंपल लिया और विभिन्न तरह की जांच की।आईसीएमआर की टीम के लीडर डॉक्टर गौरव राज द्विवेदी ने बताया कि उनका अध्ययन दो मेजर प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।पहला प्रोजेक्ट जिसमें कोई सिंपटम न हो और मलेरिया रहता है।ऐसे में तीन ग्राम पंचायत का चयन किया गया है।जिनमें पाटी, बेलहत्थी और मकरा गांव में मानसून के पहले अध्ययन किया गया है इनमें यदि उनके परजीवी होते हैं और मलेरिया नहीं होता है तो ऐसी स्थिति का अध्ययन किया जा रहा है।
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों में सीनियर वैज्ञानिक डॉ गौरव राज द्विवेदी, डॉ नलिनी मिश्रा, डॉ बृजरंजन मिश्र, डॉ आयुष मिश्रा, रविशंकर सिंह, तकनीशियन शशिकांत तिवारी, कीट संग्राहक सूर्य प्रताप शामिल हैं।पूरी टीम आईसीएमआर गोरखपुर से आई हुई है।उन्होंने बताया दूसरा मेजर प्रोजेक्ट कौन सा कीटनाशक इस क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त होगा क्योंकि डीडीटी बैन हो चुका है।डीडीटी बैन होने के बाद इसी पर अध्ययन चल रहा है कि सबसे उपयुक्त कीटनाशक कौन होगा। कहा आने वाले एक साल तक यह रिसर्च चलने वाला है।कहा यह मानसून के पहले का अध्ययन है तथा मानसून के सीजन में फिर आकर अध्ययन चलेगा और मानसून समाप्त होने के बाद अध्ययन होगा।कहा गोरखपुर और सोनभद्र की स्थिति में क्या अंतर है इसका भी अध्ययन चल रहा है।इसमें सबसे उपयुक्त कीटनाशक क्या होगा अगर उससे मच्छर खत्म हो गया तो मलेरिया के लिए सबसे उपयुक्त होगा।टीम के लोगों ने पाटी में भी ग्रामीणों के खून का सैंपल लेने के साथ ही उनके वजन ऊंचाई और बीपी की भी जांच की।इस दौरान उन्होंने उनके बीमारी की भी जानकारी जुटाई और खान-पान में क्या प्रयोग करते हैं इसके बारे में भी जानकारी ली।टीम के निरीक्षण के दौरान जिला मलेरिया अधिकारी धर्मेंद्र नारायण श्रीवास्तव, चिकित्साधिकारी राजन सिंह व मलेरिया निरीक्षक अभिषेक पांडे समेत आशा कार्यकत्री, आंगनबाड़ी व बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।