ऐप पर पढ़ें
NOC from pollution department: गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) से लेकर इंडस्ट्रियल एरिया में संचालित होने वाले ग्रीन श्रेणी के उद्योगों को अब 10 साल के लिए प्रदूषण विभाग से एनओसी मिलेगी। इसके साथ ही ऑरेज श्रेणी के उद्योगों को पांच साल के लिए तो व्हाइट श्रेणी के उद्योगों को एक बार सिर्फ उद्योग चालू होने की सूचना देनी होगी। उद्यमियों को ऑनलाइन आवेदन की भी सुविधा मिलने लगी है।
प्रदूषण विभाग ने उद्योगों को रेड, ऑरेज, ग्रीन और व्हाइट श्रेणी में बांट रखा है। रेड श्रेणी के उद्योगों को सिर्फ एक साल के लिए एनओसी मिलती है। वहीं ऑरेज श्रेणी के उद्योगों को पांच साल के लिए एनओसी मिलेगी। पिछले दिनों प्रदूषण विभाग के अधिकारियों संग गीडा के उद्यमियों की बैठक में यह जानकारी दी गई। जिसके बाद कई उद्यमियों ने पांच से लेकर दस साल के लिए एनओसी ली है। फ्लोर मिल संचालित करने वाले आकाश जालान ने 10 साल के लिए एनओसी ली है। उन्होंने बताया कि जितना एक साल के एनओसी में रकम लग रही है। उतना ही दस के गुणक में दस साल के लिए लग रहा है। लेकिन हर साल रिनीवल को लेकर अब झंझट नहीं रहेगी।
उद्यमियों को प्रदूषण विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि प्रदूषण को लेकर एनओसी की फीस टर्न ओवर और उद्योग की क्षमता को लेकर तय होती है। ग्रीन कटेगरी के उद्योगों को 250 रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक सालाना दर से फीस देनी होती है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह ने बताया कि दस साल के एक बार में ही एनओसी मिलने से उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी। जानकारी के अभाव में उद्यमी अब तक एक-एक साल के लिए एनओसी लेते थे। इस फैसले के बाद से उद्यमियों को बेवजह विभागों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।