संयुक्त राष्ट्र: दुनिया युद्ध के संकट को झेल रही है। एक तरफ जहां रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है तो वहीं दूसरी तरफ इजराइल लगातार हमास को निशाने पर लिए हुए है। ईरान और इजराइल के बीच भी तनाव बढ़ा है। अब जहां तमाम देश इन युद्धों को लेकर चिंतित हैं तो वहीं दुनिया के सामने एक और बड़ा संकट खड़ा हो गया है। यह मुद्दा भी कोई छोटा मसला नहीं है… यह मुद्दा अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों की तैनाती से संबंधित हैं।
रूस ने किया वीटो
फिलहाल, रूस ने सभी देशों पर अंतरिक्ष में खतरनाक परमाणु हथियारों को तैनात करने की होड़ पर रोक लगाने संबंधी संयुक्त राष्ट्र और जापान के एक प्रस्ताव पर बुधवार को वीटो किया है। पंद्रह सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 13 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि रूस ने इसका विरोध किया। चीन इस मामले पर नदारद रहा। रूस ने प्रस्ताव को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि यह प्रस्ताव अंतरिक्ष में सभी प्रकार के हथियारों पर प्रतिबंध लगाने में उतना सक्षम नहीं है। प्रस्ताव में सभी देशों से अंतरिक्ष में परमाणु हथियार या फिर ऐसे किसी भी हथियार को तैनात नहीं करने का आह्वान किया गया है, जो भारी तबाही का कारण बने।
‘सवाल उठता है’
अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने मतदान के बाद कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि मॉस्को की अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों को तैनात करने की मंशा बिल्कुल भी नहीं है लेकिन रूस की तरफ से वीटो किए जाने पर यह सवाल उठाता है कि सरकार कुछ ना कुछ छिपा रही है। अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती 1967 के अंतरराष्ट्रीय संधि के अंतर्गत प्रतिबंधित है।
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व्हाइट हाउस ने फरवरी में इस बात की पुष्टि की थी रूस ने उपग्रह रोधी हथियार क्षमता हासिल कर ली है हालांकि ऐसा कोई हथियार अभी तक प्रयोग में नहीं लाया गया है। 18 मार्च को थॉमस ग्रीनफील्ड ने प्रस्ताव की घोषणा की थी। पुतिन ने बाद में इस बात की घोषणा की थी कि मॉस्को का अंतरिक्ष में परमाणु हथियार तैनात करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि रूस ने केवल अमेरिका के समान अंतरिक्ष क्षमताएं विकसित की हैं। (एपी)
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