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Ambedkar Nagar Lok Sabha seat: अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। इस सीट पर सियासी गतिविधियां चरम पर हैं। इसे कभी बसपा का गढ़ माना जाता था लेकिन इस चुनाव में भाजपा और सपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। 2019 के चुनाव में बसपा के टिकट पर लड़े रितेश पांडे भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा को हराकर यहां से सांसद बने थे। पिछले दिनों रितेश ने बसपा छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली और भाजपा ने उन्हें मैदान में उतार दिया। वहीं सपा ने इस सीट से छह बार के विधायक, वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। लालजी वर्मा की पिछड़े वर्ग के वोटरों में अच्छी पैठ बताई जाती है। कहा जा रहा है कि लालजी के आने से इस सीट पर दो सियासी परिवारों का रसूख दांव पर लग गया है।
रितेश पांडे का परिवार अम्बेडकर नगर की सियासत में मजबूत स्थिति रखता है। उनके पिता राकेश पांडे ने बसपा से लड़कर भाजपा के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार को 2009 के चुनाव में हरा दिया था। राकेश पांडे वर्तमान में सपा से विधायक हैं।
सीट का सियासी इतिहास
यह सीट 90 के दशक में बसपा का गढ़ बनी थी। यह गढ़ 2012 में ढह गया। तभी से बसपा की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। 29 सितंबर 1995 को अम्बेडकर नगर जनपद का सृजन हुआ था। जनपद की स्थापना तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने की थी। वर्तमान अम्बेडकरनगर जिले के भूभाग के बाशिंदों की ओर से सालों पुरानी मांग को मायावती ने पूरा किया था। बसपा मुखिया मायावती के मुरीद हुए अम्बेडकरनगर जनपद के लोगों ने 1996 के लोकसभा चुनाव में संसदीय सीट बसपा की झोली में डाल दी। संसदीय सीट पर बसपा का नीला परचम लहराया था। घनश्याम चंद्र खरवार सांसद निर्वाचित हुए थे। ठीक दो साल बाद बसपा मुखिया मायावती सांसद निर्वाचित हुईं। मायावती 1998 में पहली बार तो 1999 में भी दूसरी बार अम्बेडकरनगर जिले से लोकसभा पहुंची थीं।
इसके बाद 2004 में भी जिले के मतदाताओं ने मायावती को संसद भेजा था। चुनाव दर चुनाव बसपा के मतों का ग्राफ बढ़ता रहा। 2007 के विधानसभा चुनाव में तो बसपा ने क्लीन स्वीप कर दिया। जिले के संसदीय सीट से लेकर सभी पांच विधानसभाओं और जिला पंचायत अध्यक्ष तक की कुर्सी पर बसपा का कब्जा हो गया था।
बसपा का अभेद दुर्ग बन चुके इस जिले की सियासत ने 2012 में करवट बदली। इस वर्ष हुए विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी की धमाकेदार इंट्री हुई। बसपा के पराभव का आगाज हुआ। बसपा किला ध्वस्त होना शुरू हो गया। सपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में जिले की पांचों क्रमश कटेहरी, टांडा, आलापुर, जलालपुर और अकबरपुर की सीटों पर कब्जा कर लिया। डेढ़ दशक से अधिक समय में पहली बार बसपा का विधानसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया था। सपा ने क्लीन स्वीप कर दिया। बसपा के खाते में लोकसभा की ही सीट बची थी। उसे भी 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छीन ली। उस चुनाव में भाजपा के हरिओम पांडे ने सपा उम्मीदवार राम मूर्ति वर्मा को हराया था। अब माना जाने लगा कि बहुजन समाज पार्टी का दौर खत्म हो गया है, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा की जीत से नए समीकरण बनना शुरू हो गए। इस चुनाव में बसपा के रितेश पांडे ने भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा को शिकस्त दी थी।
क्या कहते हैं जातीय आंकड़े
अम्बेडकर नगर लोकसभा क्षेत्र में करीब 18 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता हैं। माना जाता है कि इनमें करीब 4 लाख दलित मतदाता, तीन लाख 70 हजार मुस्लिम, 1 लाख 78 हजार से अधिक कुर्मी, 1 लाख 70 हजार यादव, लगभग 1 लाख 35 हजार ब्राह्मण, एक लाख के करीब ठाकुर मतदाता हैं। बाकी अन्य जाति के मतदाता हैं। 2024 के चुनाव में ठाकुर वोटरों की चुप्पी भाजपा के लिए चिंता का सबब बनी हुई है।
अब तक के सांसद
अकबरपुर (एससी) लोकसभा क्षेत्र के रूप में
वर्ष सदस्य दल
1962 पन्ना लाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967 रामजी राम रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया
1971 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977 मंगल देव विशारद जनता पार्टी
1980 राम अवध जनता पार्टी (सेक्युलर)
1984 राम प्यारे सुमन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989 राम अवध जनता दल
1991
1996 घनश्याम खरवार बहुजन समाज पार्टी
1998 मायावती बसपा
1999
2002 त्रिभुवन दत्त
2004 मायावती बसपा
2004 शंखलाल माझी समाजवादी पार्टी
अम्बेडकर नगर लोकसभा क्षेत्र के रूप में
वर्ष सदस्य दल
2009 राकेश पांडे बहुजन समाज पार्टी
2014 हरिओम पांडे भारतीय जनता पार्टी
2019 रितेश पांडे बहुजन समाज पार्टी