सोनभद्र न्यूज़ लाइव…
– कमीशन के खेल में पिस रहे अभिभावक
रेणुकूट। नगर में संचालित विद्यालयों के प्रबंधक एवं निजी प्रकाशकों की गठजोड़ से काॅपी किताब खरीदने के नाम पर भारी रकम वसूली जा रही है।नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही नगर में स्थित सभी विद्यालयों की किताबें एक दो चुनिंदा दुकानदारों के यहां बेचवा कर विद्यालय प्रबंधन मोटा कमीशन वसूल रहे हैं।कमीशन के खेल में अभिभावकों का बजट बिगड़ रहा है।अप्रैल महीने के प्रथम सप्ताह से शुरू हुए नए शैक्षणिक सत्र में बच्चों के लिए कॉपी किताब खरीदना अभिभावकों के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है।पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दुकानदार 50 से लेकर 80 प्रतिशत तक महंगी किताबें बेच रहे हैं।जिसका सीधा असर अभिभावकों के जेब पर पड़ रहा है।विद्यालयों द्वारा निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों को लागू करने को लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं, अभिभावक जहां विद्यालयों में जाकर विरोध जता रहे हैं वहीं स्टेशनरी दुकानदारों से महंगी किताबों के बेचे जाने को लेकर ग्राहकों से तीखी बहस हो रही है।मनीष कुमार शर्मा, विजय केसरवानी, मोहम्मद कलीम आदि अभिभावकों ने बताया कि पिछले वर्ष जहां बच्चों की किताब कॉपी खरीदने के लिए दो से ढाई हजार रुपए तक लग रहे थे अब उसके लिए चार से पांच हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।विद्यालय प्रबंधन हर साल निजी प्रकाशकों की किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल कर मोटा कमीशन वसूल रहे हैं।प्रत्येक कक्षाओं की एक दो किताबों को बदल दिया जाता है।इसके बदले पिछले वर्ष की तुलना में अधिक दाम वाली किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जा रहा है।कमीशन के खेल में विद्यालय प्रबंधन हर हथकंडे अपनाते हैं।बताया गया कि कई किताबों के ऊपर का कवर तो पिछले साल जैसा ही है लेकिन अंदर के अध्यायों को बदल दिया गया है।सरकार के आदेश एवं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा गाइडलाइन बनाकर एनसीईआरटी की पुस्तकों को लागू करने के निर्देश को ना मानते हुए विद्यालय निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों को पाठ्यक्रम में चला रहे हैं।अभिभावकों ने आरोप लगाया कि विद्यालय प्रबंधक हर वर्ष किताब कॉपी ड्रेस के नाम पर कमीशन का बड़ा खेल कर रहे हैं इसके बावजूद शासन स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं किया जा रहा है।नाम न छापने की शर्त पर एक विद्यालय से जुड़े शिक्षक ने बताया कि निजी प्रकाशक के प्रलोभन में आकर विद्यालय प्रबंधन हर वर्ष किताबों में बदलाव करता रहता है।उन्होंने दावा किया कि विद्यालय प्रबंधन काॅपी किताब यूनिफार्म में 50 से 60 प्रतिशत तक कमीशन लेते हैं।जिसकी शासन स्तर पर जांच होनी चाहिए ताकि खून पसीने की कमाई शिक्षा के नाम पर लगाने वाले अभिभावकों की जेबें कटने से रोक लगा सके।
स्टेशनरी की दुकानों पर नहीं दिया जा रहा पक्का बिल, जांच की मांग
रेणुकूट। नगर में चुनिंदा स्टेशनरी दुकानों पर अंग्रेजी मीडियम की किताबों का बेचा जाना चर्चा का केंद्र बना हुआ है।एक दर्जन से अधिक स्टेशनरी की दुकानों के बावजूद कुछ वर्षों से ज्यादातर निजी विद्यालयों की किताबों को चुनिंदा दुकानदार बेच रहे है।बड़े पैमाने पर धंधा कर रहे स्टेशनरी विक्रेता द्वारा ग्राहकों को पक्का बिल भी नहीं दिया जा रहा है।लोगों का कहना है कि ऊंचे और मनमाने दाम पर किताब, कापी बेच रहे इस दुकानदार पर कार्रवाई करने से सरकारी जिम्मेदार भी घबराते हैं।रेणुकूट के अलावा दुद्धी, विंढमगंज, म्योरपुर, बभनी, चपकी, अनपरा आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सप्लाई देने वाले दुकानदार पर बिक्री और कमाई को लेकर किसी प्रकार की छापेमारी नहीं होती और ना ही निजी विद्यालयों में चलनी वाली किताबों को बेचने के लिए एक ही दुकानदार की भूमिका पर सक्षम अधिकारी जांच करते हैं।