रामकुमार नायक/रायपुरः व्यापार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का पहिया होता है. लघु उद्योग या व्यापार शुरू कर इंसान अपने बेहतर भविष्य की तलाश में लग जाता है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम यानी MSME के अनुसार पेमेंट करने की टाइम लिमिट 45 दिन की कर दी गई है. किसी भी कंडीशन में 45 दिन के बाद उधार माल नहीं खरीद सकते हैं. अगर आपका एग्रीमेंट नहीं है, तो 15 दिन के भीतर पेमेंट करना होगा अगर कोई एग्रीमेंट या अनुबंध किया है तो उसे 45 दिन का टाइम मिल जाएगा.
अगर जिस व्यापारी का पेमेंट समय से नहीं किया है तब MSME के तहत कानून के मुताबिक वह व्यापारी ब्याज की राशि की मांग भी कर सकता है और आपको ब्याज की राशि देना पड़ेगी. इस नए कानून व्यवस्था पर चार्टर्ड अकाउंटेंट और चैंबर ऑफ कॉमर्स ने अलग-अलग बात बताई है.
इन व्यापारियों का MSME से कोई संबंध नहीं
चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने बताया कि MSME लघु उद्योग से संबंधित है, जो व्यापारी MSME से पंजीकृत हैं. उसका फायदा छोटे व्यापारियों को मिलेगा. उसका क्रेडिट लिमिट 45 दिन की रहती है. यदि 45 दिन से ज्यादा का समय होता है तो तब ब्याज का प्रावधान है. यह नियम MSME में रजिस्टर्ड व्यापारियों पर ही लागू होगा. जिसका व्यापार 2 करोड़ से अधिक और 50 करोड़ से कम हो ऐसे व्यापारी MSME में आते हैं. 50 करोड़ से अधिक व्यापार करने वालों का MSME से कोई संबंध नहीं है. MSME का नया कानून बहुत अच्छा है किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है. नया नियम आने से थोड़ा समय लगता है. कुछ समस्याएं होने पर संशोधन किया जाता है.
नए कानून व्यवस्था से व्यापारियों को नुकसान
चार्टर्ड अकाउंटेंट हार्दिक जैन ने कहा कि MEMS के नए कानून व्यवस्था से उन व्यापारियों को नुकसान होगा, जिन लोगों ने MSME वालों से माल खरीदा है. ज्यादातर स्टोर आइटम के मार्केट में एक दो महीने का उधार चलता है. नगदी का व्यापार कम चलता है. वे व्यापारी जो धारा 44D में आते हैं उन सबको इसका सामना नहीं करना पड़ेगा. इनका 6 से 8% प्रॉफिट डिक्लेयर रहता है. लेकिन जितने व्यापारियों का खाता बही ऑडिट होता है उनका पेमेंट करना होगा.
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FIRST PUBLISHED : March 28, 2024, 11:04 IST