रिपोर्ट- मोहित शर्मा
करौली. गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही लोगों की सेहत पर एक खतरनाक वायरस कहर बनकर टूट रहा है. ज्यादातर मामलों में यह वायरस छोटी उम्र के बच्चों को अपना शिकार जल्दी बना रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर गले पर देखने मिल रहा है. इसका संक्रमण होते ही गले और मुंह के आधे हिस्से पर सूजन आ रही है. यह वायरस लोगों को बुखार, कमजोरी और भूख न लगने से भी तोड़ रहा है.
करौली ही नहीं राजस्थान के कई क्षेत्रों में इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है. ये मम्स है जिसे गलसुआ के नाम से भी जाना जाता है. जानकारी के अनुसार यह एक गंभीर संक्रमित बीमारी है जो खांसने और छींकने से ज्यादा फैलता है. सामान्य तौर पर इसका प्रभाव 10 से 12 दिन तक रहता है. इसका चिकित्सा विज्ञान में भी कोई विशिष्ट उपचार नहीं है. अगर समय रहते सावधानी न बरती जाए तो यह रोगी को बहरा भी कर सकता है. बहरे होने के भी एक दो केस सामने आए है.
कोई नई बीमारी नहीं है मम्प्स
करौली के सामान्य चिकित्सालय के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ मनीष शर्मा ने बताया मम्प्स कोई नया वायरस नहीं है. यह काफी पुरानी बीमारी है जो पेरामिक्सों वायरस की वजह से होती है. देशी भाषा में ये गलसुआ नाम की है बीमारी है जो पहले भी काफी होती थी. हाल के दिनों में इसके केस अप्रत्याशित रूप से बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. छोटे बच्चों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. लेकिन यह किसी भी आयु के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है. डॉ मनीष शर्मा के मुताबिक, इसका मुख्य कारण वैक्सीनेशन नहीं होना है. जिन बच्चों और वयस्कों में एमएमआर का टीका नहीं लगा होता है उनमें इसका ज्यादा खतरा रहता है.
ये हैं मम्प्स के सामान्य लक्षण
डॉ मनीष शर्मा के मुताबिक, तेज बुखार, लार ग्रंथियां यानी गले के हिस्से पर सूजन, थूक निगलने में तकलीफ, गले में दर्द और भूख न लगना मम्प्स के सामान्य लक्षण हैं. इसमें सबसे ज्यादा खतरे की अगर बात की जाए तो वह 2 से 12 वर्ष के बच्चों में ज्यादा रहता है. इसके अलावा ऐसी मरीज जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज, किसी की अगर पहले से ही एंटी कैंसर ड्रग्स चल रही हैं. ऐसे लोगों में भी इस वायरस का खतरा ज्यादा रहता है. यह अन्य वायरलों की तरह संपर्क में आने से भी फैलता है.
हो सकते हैं बहरे
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ मनीष शर्मा ने बताया मम्प्स के कारण एक दो लोगों का सुनना भी बंद हो गया. मम्प्स के काऱण बहरे होने के भी एक – दो केस रिपोर्ट हुए है. हालांकि यह बीमारी इतनी गंभीर नहीं है. हजारों लोगों में से एक – दो लोगों में ऐसे गंभीर लक्षण देखने मिलते हैं. समय रहते हुए इसको पहचान लिया जाए और कुछ बचाव रखे जाएं तो ऐसी स्थिति बनने के चांस कम रहते हैं.
बचाव के उपाय
डॉ. मनीष शर्मा ने बताया मम्प्स एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसका कोई विशिष्ट उपचार चिकित्सा विज्ञान में नहीं है. इसमें घरेलू उपायों से ही 95% मरीज को कवर किया जा सकता है. इसमें ध्यान देने वाली बातें हैं.
-संक्रमित मरीज को बेड रेस्ट पर रखना.
– बच्चों में इसके थोड़े से भी लक्षण दिखाई दें तो खेलकूद से रोकें साथ ही उन्हें स्कूल जाने से भी रोकें.
– इस बीमारी की सबसे बड़ी जड़ मेंटेन हाइड्रेशन है. इसलिए इसमें मरीज को पानी ज्यादा से ज्यादा पिलाना चाहिए.
-गले पर जिस जगह सूजन आ रही है. उस जगह को गर्म कपड़े से ढांक कर रखना.
– मम्प्स के दौरान ठंडी और खट्टी चीजों का उपयोग नहीं करें
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FIRST PUBLISHED : April 10, 2024, 24:51 IST