हाइलाइट्स
सर्वार्थ सिद्धि योग 7 अप्रैल को 12:58 पीएम से 8 अप्रैल को 06:03 एएम तक है.
शिवरात्रि पर पूजा के लिए निशिता मुहूर्त: 12:00 एएम से 12:45 एएम तक.
चैत्र की मासिक शिवरात्रि 7 अप्रैल दिन रविवार को है. इस बार चैत्र की शिवरात्रि पर तीन शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जिसमें सर्वार्थ सिद्धि योग काफी महत्वपूर्ण है. सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जो भी कार्य करते हैं, उसमें सफलता प्राप्ति की उम्मीद अधिक रहती है. इस शुभ योग में आप जिस मनोकामना के साथ शिवरात्रि की पूजा करेंगे, भगवान भोलेनाथ की कृपा से वह पूर्ण हो सकती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि चैत्र की शिवरात्रि की पूजा विधि क्या है? पूजा के नियम, शुभ योग और मुहूर्त क्या है?
3 शुभ योग में चैत्र की शिवरात्रि
शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस बार की चैत्र मासिक शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग 12:58 पीएम से 8 अप्रैल को 06:03 एएम तक है. दोपहर के बाद आप शिवरात्रि पूजा करते हैं तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि सर्वार्थ सिद्धि योग की पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है.
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इसके अलावा उस दिन सुबह में ब्रह्म योग लगेगा, जो 10:17 पीएम तक है. फिर इंद्र योग उस समय से अगले दिन 8 अप्रैल को शाम 06:14 पीएम तक रहेगा.
चैत्र मासिक शिवरात्रि 2024 मुहूर्त
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि की शुरूआत: 7 अप्रैल, रविवार, 06:53 एएम से
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 08 अप्रैल, सोमवार, 03:21 एएम पर
शिव पूजा के लिए निशिता मुहूर्त: 8 अप्रैल, 12:00 एएम से 12:45 एएम तक
चैत्र मासिक शिवरात्रि 2024 पूजा विधि
चैत्र शिवरात्रि के दिन आप शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करें. शिव जी के मंत्र ओम नम: शिवाय का उच्चारण करते हुए भोलेनाथ को बेलपत्र, गंगाजल, गाय का दूध, फूल, फल, शमी के पत्ते, बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, मिठाई आदि अर्पित करें. पूजा के दौरान मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा जरूर पढ़ें.
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उसके बाद घी के दीपक या कपूर से शिव जी की आरती करें. समापन के समय कर्पूरगौरं करुणावतारं मंत्र पढ़ें. इससे आरती को पूरा करें. शिव जी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना कर लें और पूजा में कमियों के लिए क्षमा मांग लें. पूजा के बाद रात्रि जागरण करें और अगले दिन सुबह पारण करके व्रत को पूरा करें.
शिव पूजा के नियम
शिव जी की पूजा के कुछ खास नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है. शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा न करें. भगवान भोलेनाथ को हल्दी, सिंदूर, नारियल, केतकी के फूल, तुलसी के पत्ते आदि नहीं चढ़ाते हैं. उनकी पूजा में शंख का उपयोग वर्जित हैं.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord Shiva, Shivratri
FIRST PUBLISHED : April 6, 2024, 07:24 IST