Somvati Amavasya 2024: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या हिंदू वर्ष की आखरी अमावस्या होती है. इस साल 8 अप्रैल 2024 को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की आखिरी अमावस्या है. उस दिन सोमवार है इसलिए इसको सोमवती अमावस्या भी कहते हैं. इस अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है. अनोखा संयोग है कि इसी दिन साल का पहला सूर्यग्रहण भी पड़ने जा रहा है.भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण 8 अप्रैल को रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू हो जाएगा जो रात के करीब 2 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगा. भूतड़ी अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का संयोग बनना कई कठिन परिस्थितियों को पैदा कर सकता है. ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ और दस महाविद्या के गुरू, मृगेंद्र चौधरी से जानते हैं कि इसे भूतड़ी अमावस्या क्यों कहते हैं और इस दिन सूर्य ग्रहण का संजोग कितना घातक है.
क्योंंकहते हैं इसे भूतड़ी अमावस्या
ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ और दस महाविद्या के गुरू, मृगेंद्र चौधरी बताते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि भूत शब्द का अर्थ होता है जो बीत चुका हो, ऐसा व्यक्ति जिसकी मृत्यु हो चुकी होती है, जो अब भूतकाल में है. यानी अतृप्त आत्माएं, चाहे वह अनजान आत्माएं हों या फिर किसी व्यक्ति के परिवारिक सदस्य इत्यादि उनकी अकाल मृत्यु हो जाती है. पर उनके जीवन की इच्छाएं हैं. ऐसी आत्माएं इस दिन अपने परिवार के सदस्यों या अनजान लोगों के शरीर में घुसकर अपनी इच्छाएं पूर्ती करने की कोशिश करती हैं. पर वह अक्सर ऐसा कर नहीं पातीं. परंतु चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या वो दिन है, जब ऐसी आत्माएं बहुत उग्र होती हैं. ऐसे में वह इस दिन आसानी से किसी कमजोर व्यक्ति के अंदर घुस जाती हैं. अपने रूठे हुए पितृों को मनाने का और उन्हें शांत करने का भी यही समय है. आप अगर अपने पितृों को नजरअंदाज कर रहे हैं, विवाह इत्यादि उनकी अनदेखी कर रहे हैं, तो वह अतृप्त रहते हैं. इस समय अगर आप उनके क्रोध का समाधान नहीं करेंगे तो वह आपको परेशान कर सकते हैं.
पितृों के लिए करें दान
भूतड़ी अमावस्या पर आपको पितृों की प्रसन्नता के लिए दान पुण्य जरूर करना चाहिए.
गंगा नदी में स्नान जरूर करना चाहिए
आपको अपने पितृों के नाम पर कपड़े व चप्पल का दान करना चाहिए.
उनकी पसंद की मिठाई आदि का दान भी करना चाहिए.
भूतड़ी अमावस्या को वैसे ही इस तरह की नकारात्मक शक्तियां बहुत उग्र होती हैं, पर इसी दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है. सूर्य ग्रहण रात को 9:12 से रात को 2:22 तक रहेगा. सूर्य ग्रहण के दौरान राहु उग्र हो जाता है. तो ये काफी घातक संयोग बन रहा है. इसलिए कुछ उपाय करने चाहिए.
- विष्णु कवच का 108 बार पाठ करना चाहिए.
- देवी कवच का भी 108 बार पाठ करना चाहिए.
- इसके अलावा दिन में दान पुण्य करना चाहिए.
- गरुण पुराण का भी पाठ करना चाहिए.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha
FIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 20:01 IST