हाइलाइट्स
शीतला अष्टमी के दिन वट पूजा का विधान है.
मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है.
Sheetala Ashtami 2024 : हर साल चैत्र मास के कृष्ण की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है. इस बार शीतला अष्टमी 2 अप्रैल 2024, दिन मंगलवार को मनाई जा रही है. इस दिन एक दिन पहले खाना बनाया जाता है और उस ठंडे भोजन का भोग माता शीतला को लगाया जाता है और वही खाना घर के सभी लोग खाते हैं. इस पर्व पर मां पार्वती का स्वरूप कही जाने वाली शीतला माता का व्रत और पूजा करने का विधान है. इस पर्व को पर्यावरण और सेहत की सुरक्षा के भाव से जोड़ कर देखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन शीतला देवी की उपासना करता है उसे अनेक संक्रामक रोगों से मुक्ति मिलती है. प्रकृति के अनुसार शरीर निरोगी हो, इसलिए भी शीतला अष्टमी का व्रत करना चाहिए. इस विषय में विस्तार न्यूज़18 हिंदी को बताया है भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने.
शीतला देवी की पूजा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां शीतला को स्वच्छता, सेहत और सुख-समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. प्रचलित मान्यता के अनुसार जिस घर में सप्तमी-अष्टमी तिथि पर शीतला सप्तमी-अष्टमी का व्रत और पूजा की जाती है, उस घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है उस घर के लोगों को रोगों से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है आंखों से जुड़े रोग, चेचक, कुष्ठ रोग, बुखार, फोड़े-फुंसियां और चर्म रोगों से राहत पाने के लिए शीतला माता की आराधना की जाती है. इतना ही नहीं अगर आपके कुल में कोई बीमार है तो शीतला माता की आराधना करने से उसके रोग भी दूर हो जाते हैं. मां शीतला की अर्चना का स्त्रोत स्कंद पुराण में शीतलाष्टक के रूप में वर्णित है. मान्यता है कि इस स्त्रोत की रचना स्वयं भगवान शंकर ने की थी.
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मंत्र
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन माता को प्रसन्न करने के लिए शीतलाष्टक का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा मां शीतला का पौराणिक मंत्र ‘हृं श्रीं शीतलायै नमः’ का जाप करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है.
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शीतला अष्टमी की पूजा विधि
शीतला अष्टमी के दिन ठंडे यानी बासे खाने का भोग लगाया जाता है.
इसके लिए एक दिन पहले अनेकों प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं.
शीतला अष्टमी के दिन महिलाएं सुबह दही, रोटी, मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर शीतला माता की पूजा करती हैं.
पूजा के समय माता शीतला को जल अर्पित करें और कुछ बूंदे अपने ऊपर भी छिड़कें.
माता शीतला पर जो जल अर्पित करेंगे उसमें से जो बहकर आएगा वो जल अपने घर में छिड़कें.
इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं.
ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
अब इसके बाद खाद्य पदार्थों से मां शीतला का भोग लगाएं.
थाली में बचा भोजन कुम्हार को दें.
मां शीतला की कथा पढ़कर अपने परिजनों की सुख-शांति और आरोग्य की प्रार्थना करें.
शीतला अष्टमी के दिन वट पूजा का भी विधान है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : April 1, 2024, 19:17 IST