नई दिल्ली. भारत के ज्यादातर हिस्सों में अब चिलचिलाती गर्मी वाले दिन शुरू हो गए हैं. ऐसे में लोग अब एसी-कूलर चलाने लगे हैं. अइस बीच अगर आप इस नए सीजन में नया खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आपको एक ऐसी टेक्नोलॉजी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपको एसी खरीदने से पहले बिल्कुल पता मालूम चाहिए.
दरअअसल एसी चलाने की सबसे बड़ी दिक्कत ये होती है कि इसे चलाने से बिजली की बिल ज्यादा आता है. ऐसे में लोगों की पहली शर्त ये रहती है कि ऐसा AC खरीदें तो बिजली की बचत करें. इसके लिए सामान्य तौर पर लोग 3 स्टार या 5 स्टार वाला एसी खरीदने के बारे में सोचते हैं. लेकिन, आजकल फिक्स्ड स्पीड के अलावा इन्वर्टर टेक्नोलॉजी वाले एसी भी मार्केट में मिलते हैं. ये भले ही नॉन-इन्वर्टर की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं. लेकिन, इसके कई फायदे होते हैं. ऐसे में अगर आपका बजट थोड़ा बढ़ सके और आपका एसी काफी इस्तेमाल होता हो तो ये एक अच्छा विकल्प होता है. इन्वर्टर एयर कंडीशनर कंप्रेसर मोटर की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए इन्वर्टर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. जो एसी की कूलिंग पावर को एडजस्ट करता है. अब आइए जानते हैं इसके फायदे.
बचाता है बिजली
इन्वर्टर एयर कंडीशनर ट्रेडिशनल एयर कंडीशनर की तुलना में ज्यादा एनर्जी एफिशिएंट होते हैं क्योंकि वे वांछित तापमान तक पहुंचने के लिए कंप्रेसर की स्पीड को कंट्रोल कर सकते हैं. जब किसी कमरे को जल्दी ठंडा करने की जरूरत होती है तो कंप्रेसर हायर स्पीड से चलता है, और जब कमरा पहले से ही ठंडा होता है तो कम स्पीड से चलता है. इससे एनर्जी सेव होती है क्योंकि ये इक्विपमेंट के ऑन और ऑफ करने में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा को बचाती है. इन्वर्टर टेक्नोलॉजी ट्रेडिशनल डिवाइसेज की तुलना में 25% से 50% कम ऊर्जा की खपत कर सकती है.
कंसिस्टेंट कूलिंग
इन्वर्टर एसी कंप्रेसर स्पीड को एडजस्ट कर ज्यादा स्टेबल इनडोर टेम्परेचर मेनटेन करता है. इससे नॉन-इन्वर्टर मॉडल्स की तुलना में ज्यादा कंफर्म मिलता है.
शांति से करता है काम
कंप्रेसर स्पीड के कंटिन्यूअस मॉड्यूलेशन की वजह से इन्वर्टर एसी ज्यादा शांति से काम करते हैं. ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि कमरे में शांति बनी रहे तो इन्वर्टर एसी एक अच्छा ऑप्शन है.
अलग-अलग वोल्टेज रेंज में कर सकते हैं काम
इन्वर्टर एयर कंडीशनर अलग-अलग वोल्टेज रेंज में काम कर सकते हैं, आमतौर पर ये 160-265 वोल्ट के बीच ऑपरेट करते हैं. ये ट्रेडिशनल एसी यूनिट्स की तुलना में वोल्टेज के उतार-चढ़ाव को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकते हैं क्योंकि उनके पास ज्यादा बेहतर टेक्नोलॉजी होती है.
हालांकि, आपको ये भी बता दें कि नॉन-इन्वर्टर एसी सिंपल डिजाइन और टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं. ऐसे में इनकी मेंटनेंस कॉस्ट भी कम होती है. साथ ही इनकी रिपेयरिंग के लिए कम खर्च करने होते हैं. इसलिए काफी बार लोगों को नॉन-इन्वर्टर एसी खरीदने के बारे में सुझाया जाता है. हालांकि, ये पूरी तरह से आपकी जरूरत पर निर्भर करता है.
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FIRST PUBLISHED : March 29, 2024, 16:11 IST