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मोदी लहर में भी मुरादाबाद की सीट जीतने वाली सपा के लिए इस बार लड़ाई आसान नहीं लग रही है। उसे भाजपा से पहले अपने ही लोगों से लड़ना पड़ सकता है। मुरादाबाद में भले ही हाईवोल्टेज सियासी ड्रामे का बुधवार को पटाक्षेप दिखाई दे रहा है लेकिन ऐसा है नहीं। मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से नामांकन के अंतिम दिन एसटी हसन का नामांकन रद करवा कर रुचि वीरा को सिंबल देना सपा के बड़े गुट को पसंद नहीं आ रहा है। कुछ लोगों ने खुलकर तो कुछ ने इशारों में इसका विरोध शुरू भी कर दिया है। रुचि वीरा आजम खान की पसंद और उनकी खास मानी जाती हैं। ऐसे में सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने इशारों में सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान पर निशाना साध दिया है। जावेद अली ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा कि नवाबों के दौर में भी मुरादाबाद कभी रामपुर के अधीन नहीं रहा, अब है!
मुरादाबाद में सपा के टिकट पर दो दिनों से घमासान मचा था। सपा प्रत्याशी के रूप में एक दिन पहले मौजूदा सांसद डा. एसटी हसन ने अपना नामांकन करवाया था। इस दौरान पार्टी ने एसटी हसन का टिकट काट कर रुचि वीरा को सिंबल थमा कर मुरादाबाद भेज दिया। एसटी हसन आखिर तक इसे अफवाह बताते रहे और रुचि वीरा ने खुद को पार्टी का प्रत्याशी होने का दावा करती रहीं। इस बीच यह भी खबर आई कि मुरादाबाद में विमान से पहुंच कर सपा नेता दोबारा एसटी हसन को प्रत्याशी घोषित करेंगे पर ऐसा हुआ नहीं।
सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल मुरादाबाद हवाई जहाज से उतर कर रामपुर के प्रत्याशी का सिंबल लेकर वहां चले गए। रुचि वीरा ने बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अपना नामांकन भी करवा दिया। उन्होंने पार्टी से जारी सिंबल और वह पत्र जिसमें डा. एसटी हसन की प्रत्याशिता रद की गई थी, वह भी जिला निर्वाचन अधिकारी मानवेंद्र सिंह को सौंपा। जिला निर्वाचन अधिकारी ने इसकी पुष्टि की।
दबाव की सियासत करने में माहिर रहे हैं आजम खान
समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद आजम खान भले ही जेल में हों, लेकिन रामपुर की सियासत में अपना सिक्का चलाने की उनकी पुरानी आदत अभी गई नहीं दिखती है। रामपुर से दो बार सपा के टिकट पर सांसद रहीं जयाप्रदा से बाद में आजम खान की इतनी नाराजगी बढ़ी कि उनके बारे में अमर्यादित शब्द इस्तेमाल करने से नहीं चूके।
पहली बार तो वह आजम खान के समर्थन व सहयोग से जीतीं लेकिन 2009 के चुनाव में जयाप्रदा आजम खान के विरोध के बावजूद सपा से जीत गईं। अमर सिंह के विरोध के चलते आजम खान को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। बाद में स्थिति बदली, अमर सिंह का विरोध जब सपा में बढ़ने लगा तो 2010 में अमर सिंह व जयाप्रदा दोनों सपा से बाहर हो गए। बाद में जयाप्रदा ने रालोद के सहयोग से बिजनौर से 2014 का चुनाव लड़ा। आजम खान कतई नहीं चाहते थे कि उनकी दुबारा इंट्री सपा में हो।
रामपुर ही नहीं आसपास के जनपदों की तमाम सीटों पर आजम खां ही प्रत्याशी का फैसला लेते रहे हैं। रामपुर में कौन प्रत्याशी होगा, इसका तो ऐलान भी लखनऊ के बजाय आजम खान के रामपुर कार्यालय से होता रहा है। इस बार वह जेल में बंद हैं। लेकिन, उनके लोग यहां सक्रिय हैं। आजम के एक इशारे पर वह कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। सूत्रों की मानें तो आजम खां रुचि वीरा को बिजनौर, यूसुफ मलिक को मुरादाबाद से लड़ाना चाहते थे और रामपुर में उनकी मर्जी थी कि अखिलेश उनकी परंपरागत सीट पर चुनाव लड़ें।
इस बीच जब बिजनौर से रुचि वीरा का टिकट नहीं हुआ तो आजम खिन्न हो गए। चंद रोज पहले जेल में आजम से मिलने गए अखिलेश के समक्ष भी यह सब बातें खुलकर हुईं। अखिलेश ने रामपुर से चुनाव लड़ने का मन भी बनाया। रामपुर के सपा नेताओं को लखनऊ बुलाया और मन टटोला लेकिन, टिकट का ऐलान नहीं किया। मुरादाबाद में एसटी हसन का सपा ने टिकट कर दिया।
इसके साथ ही रामपुर से अपने परिवार के तेज प्रताप यादव का नाम चला दिया। यानी न रामपुर में आजम की दाल गली और न ही मुरादाबाद में, जिस पर आजम ने जेल से इशारा दिया और यहां उनके समर्थकों ने बहिष्कार का ऐलान कर दिया। इसके बाद मजबूरी में अखिलेश यादव ने मुरादाबाद में तो आजम की इच्छापूर्ति कर दी। हालांकि रामपुर में भी आजम के चहेते आसिम राजा ने सपा से नामांकन कर दिया है।